Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 320
________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-२ २४९ गाथा-अङ्क प्राकृत. १७ छस्सयरि ४ छिवट्ठ ११,१२,२६,१७, १८,१९,२०,३३ छेद संस्कृत षट्सप्तति सेवार्त हिन्दी छिहत्तर सेवार्तसंहनननामकर्म अभाव यदि ८ जइ जया १ जह २५,२७ जा ४ जाइ २३,६,१०,३३,१३ जिण यदा यथा यावत् जाति जब जिसप्रकार पर्यन्त जातिनामकर्म तीर्थङ्करनामकर्म जिन यः ठ स्थिति कर्म-बन्ध की काल-मर्यादा ५ त्थी स्त्री तृतीय तृतीय स्त्रीवेद तीसरा २५ तइअ २९ तइय ९,३१ तणु ३ तत्थ २३,३३ तसतिग तनु तत्र वसत्रिक ९ तसनव त्रसनवक शरीरनामकर्म उस में त्रसनाम, बादरनाम औरपर्याप्तनामकर्म असआदिधप्रकृतियों पृ. ११३ उसी प्रकार उस को स्वरूप-बोधक इति १ तह तथा ३४ तं १२,२३ ति १२. ति ५ त्रि इति ६ तिअकसाय तृतीयकषाय १६ तिअकसाय तृतीयकषाय २४ तिग त्रिक २१ तित्थ स्वरूप-बोधक प्रत्याख्यानावरण प्रत्याख्यानावरण तीन का समुदाय तीर्थङ्करनामकर्म तीर्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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