Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 327
________________ २५६ गाथा-अङ्क प्राकृत. १२,२२,३२,३३ साय २,५,१४ सासण २८ साहार १४ सिद्धि ९ २२, ३३ सुखगइ सुभग ९ सुरदुग ७,८, २७ सुराउ ३२ सुसर सुहुम १४ सुहुमतिग २२ सूसर २,११,१९३० १० हास २९ हासछग परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग - २ १८ हासाइछक्क ११ हीण ४ हुण्ड Jain Education International संस्कृत सात सास्वादन साधारण सिद्धि सु-खगति सुभग सुरद्विक सुरायुस् सस्वर सूक्ष्म सूक्ष्मत्रिक सुस्वर he हास्य हास्यषट्क हास्यादिषट्क ही हुगड * For Private & Personal Use Only हिन्दी सातावेदनीय सास्वादनसम्यग्दृष्टि गु. पृ. ६ साधारणना मोक्ष शुभविहायोगतिना. सुभगनामकर्म देवगति और देवानुपूर्वी देवआयु सस्वरनामकर्म सूक्ष्मसम्पेरायगु. पृ. ८६, ११३, १२५, १३८ सूक्ष्मनाम अपर्याप्तनाम और साधारण सुस्रनामकर्म हास्यमोहनीय हास्यमोहनीय आदि ६ प्रकृतियाँ पृ. १३८ "" रहित हुण्डसंस्थावनन. www.jainelibrary.org

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