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परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-२
२५१
गाथा-अङ्क प्राकृत.
१६ दुहग १६ दुहग
४ दुहगतिग
संस्कृत दुर्भग दुर्भग दुर्भगत्रिक
हिन्दी एक सौ दो दुर्भगनामकर्म दुर्भगनामकर्म, दुःस्वरनामकर्म और अनादेयनामकर्म दु:स्वरनामकर्म
२२
दुःस्वर
दूसर ३१ देव ३४ देविंद
देव
देव देवेन्द्र
२,१६
देस
देवों का इन्द्र तथा श्रीदेवेन्द्रसूरि देशविरतगुणस्थान पृ. ८६,११९
न
४,२९ नपु ३४ नमह ३४ नरअणुपुवी ६ नरतिग
नपुंसक नम्-नमत नरानुपूर्वी नरत्रिक
२७ नरय
४ नरयतिग
नरक नरकत्रिक
३० नवनवइ नवनवति २०,३० नाण
ज्ञान १२ नाणविग्घदसग ज्ञानविघ्नदशक
नपुंसकवेद नमन करो मनुष्य-आनुपूर्वी नरगति, नरानुपूर्वी
और नरायु नरक नरकगति, नरकानुपूर्वी
और नरकायु। निन्यानबे ज्ञानावरण पाँच ज्ञानावरण और पाँच अन्तराय कर्म। नीचगोत्र समाप्ति निद्रा और प्रचला निर्माणनामकर्म नीचगोत्र निवृत्तिगुणस्थान पृ. ८६ नरक नरक-आयु नरकानुपूर्वीनामकर्म प्राप्त करता है
५,१६ निअ नीच
७ निद्रा निष्ठा ९,२० निद्ददुग निद्राद्विक ३१,१०,२१ निमिण निर्माण
३२ निय नीच
२ नियट्ठि निवृत्ति २८ निरय निरय २६ निरयाउ
निरयायुत् १४ निरयाणुपुव्वी निरयानुपूर्वी ७ नेइ
नी-नयति
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