Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 324
________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-२ २५३ गाथा-अङ्क प्राकृत. २६ बियाल २९ बिसत्तरि ३३ बिसयरि संस्कृत द्वाचत्वारिंशच्छत द्वासप्तति हिन्दी एक सौ बयालीससय बहत्तर २४ भगवं १० भय ९,११,२७ भाग १० भेअ भगवान् भय भाग भगवान् भयमोहनीय हिस्सा विच्छेद भेद मध्य मनुज भीतर मनुष्य ५ मज्झ १६ मणु २३,३३ मणुय २४ मणुयाउ २९ मय १९ माया २,३,१३,१४ मिच्छा मनुजायुस् मद माया, मिथ्या मनुष्य-आयु मानकषाय मायाकषाय मिथ्यादृष्टिगु.पृ. ८६,१०४ ११८,११९ मिथ्यात्वमोहनीय सम्यमिथ्यादृष्टि गु. पृ. ८६,१०८,११९ मिश्रमोहनीय ४,१४ मिच्छा २,५,१५ मीस मिथ्या मिश्र १३,१५ मीस य पुन:, फिर १० ३१ रस १९ रिसहनारायदुग ऋषभनाराचद्विक रतिमोहनीय रसनामकर्म ऋषभनाराचसं. और नाराचसं. हनन ल लभ-लब्ध २५ लद्ध ३० लोह प्राप्त लोभकषाय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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