Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 311
________________ २४० संख्या ५. श. ६. ग्रन्थ- नाम पाँच नवीन पाँच अवचूरि पाँच अवचूरि कर्मग्रन्थ पाँच स्वोपज्ञटीका श्लो. १०१३७ श्रीदेवेन्द्रसूरि कर्मस्तव विवरण छह कर्म. बाला. वबोध छह बालावबोध छह बालावबोध मनस्थिरीकरण प्रकरण प्रकरणवृत्ति ७. संस्कृतचारकर्म ग्रंथ ८. कर्मप्रकृदिद्वा त्रिंशिका ९. भावप्रकरण परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग - १ कर्त्ता श्रीदेवेन्द्रसूरि १०. बंधहेतूदयत्रिभंगी बंधहेतूवृत्ति ११. बन्धोदयसत्ताप्र. परिमाण गा. ३१० १२. कर्मसंवेधप्रकरण १३. कर्मसंवेधभंगप्र. गा. ३० भावस्वोपज्ञ वृत्ति श्लो. ३२५ Jain Education International श्लो. २९५८ श्लो. ५४०७ श्लो. १५० श्लो. १७००० जयसोमसूरि श्लो. १२००० मतिचन्द्रजी श्लो. १०००० जीवविजयजी गा. १६७ महेन्द्रसूरि श्लो. २३०० श्लो. ५६९ गा. ३२ मुनिशेखरसूरि गुणरत्नसूरि कमलसंयमोपाध्याय स्वोपज्ञ जयतिलकसूर गा. ६५ हर्षगण श्लो. ११५० वार्षिगणि विजयविमलगणि गा. २४ बन्धस्वोपज्ञअवचूर श्लो. ३०० श्लो. ४०० पत्र - १० अज्ञात विजयविमलगणि विजयविमलागणि राजहंस - शिष्य अज्ञात For Private & Personal Use Only रचना- समय वि. की १३ - १४वीं वि. की २३-२४वीं श. अज्ञात वि. की १५वीं श. वि.सं. १५५९ वि.सं. १८०३ वि.सं. १२८४ वि.सं. १२८४ वि. १५वीं श. का आरम्भ अज्ञात वि.सं. १६२३ वि.सं. १६२३ वि. १६वीं श. वि.सं. १६०२ वि.सं. १६२३ वि.सं. १६२३ अज्ञात देवचंद्र अज्ञात www.jainelibrary.org

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