Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 303
________________ २३२ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ पहिले कर्मग्रन्थ की मूल गाथाएँ सिरिवीरजिणं वंदिय, कम्मविवागं समासओ वुच्छं। कीरइ जिएण हेउहिं, जेणंतो भन्नए कम्मं ।।१।। पयइठिइरसपएसा, तं चउहा मोयगस्स दिळंता । मूलपगइठ्ठउत्तर पगई अडवन्नसयभेयं ।। २।। इह नागदंसणावरण-वेयमोहाउनामगोयाणि । विग्धं च पणनवदुअ-ट्ठवीसचउतिसयदुपणविहं ।।३।। मइसुयओहीमणके-वलाणि नाणाणि तत्थ मइनाणं । वंजणवग्गहचउहा, मणनयण विणिंदियचउक्का ।।४।। अत्थुग्गहईहावा-यधारणा करणमाणसेहिं छहा । इय अट्ठवीसभेयं, चउदसहा वीसहा व सुयं ।।५।। अक्खरसन्नीसम्मं, साइअं खलु सपज्जवसियं च । गमियं अंगपविटुं, सत्त वि एए सपडिवक्खा ।।६।। पज्जयअक्खरपयसं-घाया पडिवत्ति तह य अणुओगो। पाहुडपाहुडयाहुड-वत्थूपुव्वा य ससमासा ।।७।। अणुगामिवड्डामाणय-पडिवाईयरविहा छहा ओही । रिउमइ विमल मई मण-नाणं केवलमिगविहाणं ।।८।। एसिं जं आवरणं, पडु व्व चक्खुस्स तं तयावरणं । दंसणचउ पण निद्दा, वित्तिसमं दंसणावरणं ।।९।। चक्खूदिट्ठिअचक्खू-सेसिंदियओहिकेवलेहिं च । दंसणमिह सामन्नं, तस्सावरणं तयं चउहा ।।१०।। सुहपडिबोहा निद्दा, निद्दानिद्दा य दुक्खपडिबोहा । १. “विउल' इत्यपि पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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