________________
कर्मग्रन्थभाग-३
मूल-प्रकृतियाँ
7-60
७-८
।
अन्तरायकर्म
५
।
गोत्रकर्म
२
नामकर्म
२ | ५८
आयुकर्म
मोहनीयकर्म |
२६
वेदनीयकर्म
लब्धि अपर्याप्त तिर्यञ्च तथा मनुष्यका बन्धस्वामित्व-यन्त्र।
दर्शनावरणीय
ज्ञानावरणीय
विच्छेद्य-प्रकृतियाँ | 0 | .
अबन्ध्य-प्रकृतियाँ
|
बन्ध्य-प्रकृतियाँ
१०९
मिथ्यात्व में | १०९ | ११ ओघ से
गुणस्थानों के
नाम
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org