Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 289
________________ इति २१८ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ गाथा-अङ्क प्राकृत संस्कृत हिन्दी २९,३०,४९ ति तीन २५,४५ त्ति समाप्ति-द्योतक २३ तिउत्तरसय व्युत्तरशत एक सौ तीन ४३ तिग त्रिग तीन का समूह १९ तिणिसलया तिनिसलता बेंत ४१,४२ तित्त तित्त तिक्तरसनामकर्म पृ. ५६,५८ २५,४७ तित्थ तीर्थ तीर्थङ्करनामकर्म पृ. ४१,६३ ३१,३३ तिनवइ त्रिनवति तिरानवे ३७ तिन्नि ३३ तिय त्रिक २३,३३ तिरि तिर्यच तिर्यञ्च १३,१८ तिरिय ५८ तिरियाउ तिर्यगायुस् तिर्यञ्चायु १४ तिविह त्रिविध तीन प्रकार का ३१ तिसय त्रिशत एक सौ तीन ४७ तिहुयण त्रिभुवन तीन लोक १३,२६ तु ३३,३७ सेव तेजस् तैजस तीन तीन तिर्यंच् तिर्यश्च २७ थावर २८ थावरचउक्क २६,५१ थावरदस स्थावर स्थावर नामकर्म प्र. ४२ स्थावरचतुष्क स्थावर आदि ४ प्रकृतियाँ पृ. ४३ स्थावरदशक स्थावर आदि १० पृ. ४२,६८ स्थिर स्थिर नामकर्म पृ. ४२,६८ स्थिरषटक स्थिर आदि ६ प्रकृतियाँ ६४ २६,५० थिर २८ थिरछक्क २२ थी १२ थीणद्धी ४९ थूल स्त्री सत्यानर्द्धि स्थूल निद्रा-विशेष पृ. २३ स्थूल मोटा दाँत ५० दंत ३६ दंताली दन्त दन्ताली दन्ताली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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