Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 290
________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ २१९ संस्कृत हिन्दी दर्शन दर्शन-यथार्थ श्रद्धा. पृ. २४ दर्शनचतुष्क दर्शनावरणचतुष्क पृ. ११ दर्शनमोह दर्शनमोहनीय पृ. २५,७९ दर्शनावरण दर्शनावरणकर्म पृ. ६,१९ दृढ़धर्मन् धर्म में दृढ़ दानरुचि दान करने की रुचिवाला दान त्याग देना दाह दृष्टि दृष्टान्त उदाहरण दिन जलना आंख दिवस गाथा-अङ्क प्राकृत १३ दंसण ९ दंसणचउ १४,५६ दंसणमोह ३,९ दंसणावरण ५५ दढधम्म ५८ दाणरुइ ५५ दाण २२ दाह १० दिट्टि २ दिट्टन्त १२ दिण ३,२९,३७, दु ११ दुक्ख ३०,४३ दुग ४२ दुगंध ४४ दुद्धरिस २७ दुभग ४१ दुरंहि १३,१७,५७ दुविह ३२ दुवीस २७ दुस्सर १२,५२ दुहा ४६ देव ५६ देवदव्व दुःख दुःख द्विक दुर्गन्ध दुर्धर्ष दुर्भग दुरभि द्विविध द्वाविंशति दुःस्वर द्विधा देव देवद्रव्य दुरभिगन्धनाम कर्म अजेय दुर्भग नामकर्म पृ. ४२ दुरभिगन्ध नामकर्म पृ. ५८ दो प्रकार का बाईस दुःस्व नामकर्म पृ. ४२ दो प्रकार से देवता देव के उद्देश्य से इकट्ठा किया हुआ द्रव्य देवेन्द्रसूरि उपदेश अप्रीति ६१ देविंदसूरि ५६ देसणा १६ दोस देवेन्द्रसूरि देशना द्वेष घ ५ धारणा १२ धारा धारणा मतिज्ञान-विशेष पृ. ९ धारा धार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org:

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