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मूल प्रकृतियाँ
अन्तरायकर्म J
गोत्रकर्म
नामकर्म
आयुर्म
मोहनीय कर्म
वेदनकर्म
दर्शनावरणीय
ज्ञानावरणीय
बन्ध विच्छेद्यप्रकृतियाँ
अबन्ध्य - प्रकृतियाँ
बन्ध्य - प्रकृतियाँ
गुणस्थानों के
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१. ५८ का बन्ध पहले भाग में, ५६ का दूसरे से छठें तक पाँच भागों में और २६ का बन्ध सातवें भाग में समझना ।
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