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नववे से लेकर ४ देवलोक तथा नव ग्रैवेयक के देवों का बन्धस्वामित्व-यन्त्र।
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गुणस्थानों के
नाम
बन्ध्य-प्रकृतियाँ |
ज्ञानावरणीय
वेदनीयकर्म
दर्शनावरणीय
आयुकर्म
मोहनीयकर्म
विच्छेद्य-प्रकृतियाँ | ~~
नामकर्म
गोत्रकर्म
अबन्ध्य-प्रकृतियाँ MIN
अन्तरायकर्म
मूल-प्रकृतियाँ
४७
७-८
| ९
| २ | २६
| 32
|
7-6
2-60 |
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ओघ से । मिथ्यात्व में । ९६ । २४ सास्वादन में | ९२ मिश्र में
कर्मग्रन्थभाग-३
२८
९
। २ । २४
२२
। २ । ५ । ७-८
।
।
०
।
|
२
।
१९
अविरत में
2-6
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