________________
प्रथम कमंत्र
ફ્
श्रुतज्ञान के बीस मेद
गाथा में पर्याय, अक्षर आदि दस नाम गिनाये हैं। उन नामों तथा उन नामों में से प्रत्येक के साथ समास शब्द जोड़ देने से श्रुतज्ञान के बीस भेदों के नाम इस प्रकार हैं
(१) पर्यायश्रुत,
(३) अक्षरश्रुत,
(५) पदश्रुत,
(७) संघातश्रुत, (2) प्रतिपत्तिश्रुत,
(११) अनुयोगभूत,
(१३) प्राभृत-प्राभृतश्रुत,
(२) पर्यायसमासश्रुत,
(४) अक्षरसमासश्रुत,
(६) पदसमासश्रुत.
(८) संघातसमासश्रुत, (१०) प्रतिपत्तिसमासश्रुत,
(१२) अनुयोगसमासश्रुत, (१४) प्राभूत-प्राभृतसमासश्रत,
(१६) प्राभूतसमासश्रुत,
(१८) वस्तुसमासश्रुत, (२०) पूर्वसमासश्रुत |
(१५) प्राभृतश्रुत,
(१७) वस्तुश्रुत, (१६) पूर्वश्रुत और
इन बीस भेदों को संक्षेप में समझने से पहले समास शब्द का आशय बतलाते हैं ।
अधिक, समुदाय या संग्रह को समास कहते हैं ।
(१) उत्पत्ति के प्रथम समय में लब्ध्यपर्याप्त सूक्ष्म निगोदिया जीव के होने वाले कुश्रुत के अंश से दूसरे समय में ज्ञान का जितना अंश बढ़ता है, वह पर्यात है ।
(२) उक्त पर्यायश्रुत के समुदाय अर्थात् दो तीन, चार आदि संख्याओं को पर्यासमासश्रत कहते हैं ।
(३) अकारादि लब्ध्यक्षरों में से किसी एक अक्षर के ज्ञान को अक्षरभुत कहते हैं ।