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क्रम
प्रकृति नाम
स्वेताम्बर
दिगम्बर
१८६
५. आनुपूर्वी नामकर्म जिस कर्म के उदय से सम- जिसके उदय से विग्रहगति में
श्रेणी से गमन करता हुआ जीव जीव का आकार पूर्व शरीर के विधेणी गमन करके उत्पत्ति-स्थान समान बना रहे।
में पहुंचे। ६. गति नामकर्म जिसके उदय से जीव को जिसके उदय जीव भवान्तर
मनुष्य, तिथंच आदि पर्यायों की को जाता है।
प्राप्ति हो। ७. जुगुप्सा
जिसके उदय से जीव को गंदी जिसके उदय से जीव अपने वस्तुओं पर वृणा या ग्लानि हो। दोष छिपावे और पर के दोष
प्रकट करे। ८. निद्रा दर्शनावरण) जिसके उदय में हल्की नींद जिसके उदय से जीव चलता
आये, सोता हुआ जीब जरा-सी चलता खड़ा रह जाय और गिर
आवाज में उठाया जा सके। जाए। १. निर्माण नामकर्म अंगोपांगों को अपने-अपने इसके स्थान निर्माण और स्थान पर व्यवस्थित करना। प्रमाण-निर्माण से दो भेद करके
इनका कार्य अंगोपांगों को यथा
कर्मविपाक