Book Title: Karmagrantha Part 1
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

Previous | Next

Page 243
________________ प्रथम कर्मग्रन्थ रक-आहारक बन्धन, (२७) आहारक-तैजस बन्धन, (२८) आहारककामण वन्धन, (२६) आहारक-तंजस कार्मण बन्धन, (३०) तंजसतेजस बन्धन, (३१) तैजस कार्मण बन्धन, (३२) कार्मण-कार्मण बन्धन । संघातन-(३३) औदारिक संघातन, (३४) वैक्रिय संघातन, (३५) हा संघातग, (२६ न सतानकारीण संघातन । संहनन- (३८) वनऋषभनाराच संहनन, (३६) ऋषभनाराच संहनन, (४०) नाराच संहनन, (४१) अर्धनाराच संहनन, (४२) कोलिका संहनन, (४३) सेवात संहनन । संस्थान--(४४) समचतुरस्र संस्थान, (४५) न्यग्रोध संस्थान, (४६) सादि संस्थान, (४७) वामन संस्थान, (४८) कुब्ज संस्थान, (४६) हुण्ड संस्थान। वर्ण-(५०) कृष्णवर्ण, (५१) नीलवर्ण, (५२) लोहितवर्ण, (५३) हारिद्रवर्ण : (५४) श्वेतवर्ण । गन्ध-(५५) सुरभिगन्ध, (५६) दुरभिगन्ध । रस-(५७) तिक्तरस, (५८) कटुरस, (५६) वाषायरस, (६०) आम्लरस, (६१) मधुररस। स्पर्श-१६२) कर्कश-स्पर्श, (६३) मृदुस्पर्श (६४) गुरुस्पर्श, (६५) लघुस्पर्श, (६६) शीतस्पर्श, (६७) उष्णस्पर्श, (६८) स्निग्धस्पर्श, (६९) रूक्षस्पर्श । आनुपूर्वो-(७०) नरकानुपूर्वी, (७१) तिर्यंचानुपूर्वी, (७२) मनुध्यानुपूर्वी, [७३) देवानुपूर्वी । विहायोगति-७४) शुभ विहायोगति, (७५) अशुभ विहायोगति।

Loading...

Page Navigation
1 ... 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271