Book Title: Karmagrantha Part 1
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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कर्मविपाक
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(६) अनन्तानुबंधी माया, (७) अनन्तानुबंधी लोभ, (८) अप्रत्या ख्यानावरण क्रोध (2) अप्रत्याख्यानात्र रण मान, (१०) अप्रत्याख्यानावरण माया, (१२) अप्रत्याख्यातावरण लोभ, (१२) प्रत्याख्यानावरण क्रोध, (१३) प्रत्याख्यानावरण मान, (१४) प्रत्याख्यानावरण माया, (१५) प्रत्याख्यानावरण को
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१६,
(१७)
संज्वलन मान, (१८) संज्वलन माया, (१६) संज्वलन लोभ |
नोकषाय - (२०) हास्य, (२१) रति, (२२) अरति, (२३) शोक, (२४) भय, (२५) जुगुप्सा, (२६) पुरुषवेद, (२७) स्त्रीवेद, ( २८ ) नपुंसक वेद ।
(५) आयुकर्म की उत्तर प्रकृतियाँ -४
(१) देवायु, (२) मनुष्यायु, (३) तिर्यंचायु, (४) नरकाय । (६) नामकर्म की उत्तर प्रकृतियाँ - १०३
गति - (१) नरकगति, (२) तियंचगति, (३) मनुष्यगति, (४) देवगति ।
जाति - ( ५ ) एकेन्द्रिय (६) द्रोन्द्रिय, (७) त्रीन्द्रिय, (८) चतुरि न्द्रिय (1) पंचेन्द्रिय
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शरीर - ( 20 ) मदारिक शरीर (११) वैक्रिय शरीर, (१२) आहारक शरीर (१३) तेजस शरीर, (१४) कार्मण शरीर ।
अंगोपांग - (१५) मोदारिक अंगोपांग, (१६) वैक्रिय अंगोपांग, (१७) आहारक अंगोपांग ।
बंधन - (१८) औदारिक-औदारिक बंधन, (१६) औदारिक- तंजस बंधन, ( २० ) औदारिक कार्मण बंधन, (२१) औदारिक- तेजस - कार्मण बंधन, (२२) वैक्रिय वैकिय बंधन, (२३) वैक्रिय तेजस बंधन, (२४) वैक्रिय कार्मण बंधन, (२५) वैक्रिय तेजस - कार्मण बंधन, (२६) आहा
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