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जैन कथा कोष
प्रजाजनों ने मल्लदिन से प्रार्थना की- यह चित्रकार बिल्कुल निर्दोष है। इसने राजकुमारी को नहीं देखा । यह तो इतना प्रतिभाशाली है कि पैर का अगूंठा देखकर ही व्यक्ति का चित्र बना सकता है। इस पर मल्लदिन ने उस चित्रकार का अंगूठा काटकर उसे देश निकाले की सजा दे दी।
चित्रकार वहाँ से चलकर हस्तिनापुर पहुँचा । वहाँ उसने मल्लिकुमारी का चित्र बनाकर राजा अदीनशत्रु को दिखाया । अदीनशत्रु मल्लिकुमारी के प्रति आकर्षित हो गया। उसने इस सन्देश के साथ अपना दूत मिथिला भेजा कि राजकुमारी मल्लि का विवाह मेरे साथ कर दिया जाये; लेकिन कुंभ राजा ने उसके दूत को तिरस्कृत कर लौटा दिया।
इसके बाद राजा अदीनशत्रु ने अन्य राजाओं के साथ मिलकर मिथिला को घेर लिया ।
लेकिन मल्लिकुमारी से प्रतिबोध पाकर इसने दीक्षा ग्रहण कर ली और तप करके मोक्ष गया ।
- त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र
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जन्म-नगर
माता
पिता
जन्म-तिथि
कुमार अवस्था
राज्यकाल
दीक्षा तिथि
केवलज्ञान
चारित्र पर्याय
निर्वाण तिथि
कुल आयु
१४. अनन्तनाथ भगवान
सारिणी
अयोध्या
सुयशा सिंहसेन
वैशाख कृष्णा १३
७,५०,००० वर्ष
१५,००,००० वर्ष वैशाख बद्री १४
वैशाख बदी १४
७,५०,००० वर्ष
चैत सुदी ५
३०,००,००० वर्ष
१७
पुत्र
भगवान् 'अनन्तनाथ' अयोध्या नगरी के महाराज सिंहसेन के महारानी 'सुयशा' के उदर में श्रावण बदी ७ के दिन प्राणत (दसवाँ ) देवलो
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