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जैन कथा कोष ३११ माता
श्यामा दीक्षा तिथि माघ शुक्ला ४ जन्म तिथि माघ शुक्ला ३ केवलज्ञान तिथि पौष शुक्ला ६ चारित्र पर्याय १५ लाख वर्ष कुल आयु ३० लाख वर्ष निर्वाण तिथि आषाढ़ कृष्णा ७ चिह्न
वराह 'कम्पिलपुर' नगर के महाराज 'कृतवर्मा' की महारानी का नाम था 'श्यामा'। श्यामारानी के उदर में आठवें सहस्रार स्वर्ग से च्यवन करके भगवान् 'विमलनाथ' आये। चौदह स्वप्न देखकर महारानी पुलिकत हो उठी। भगवान् का जन्म माघ सुदी ३ को हुआ। सारा परिवार हर्ष-विभोर हो उठा। प्रभु का नाम 'विमलनाथ' रखा । युवावस्था में प्रभु का अनेक राजकन्याओं से पाणिग्रहण कराया गया। पन्द्रह लाख वर्ष की आयु में पिता की राजगद्दी पर अवस्थित हुए। तीस लाख वर्ष तक राज्य किया। वर्षीदान देकर एक हजार राजाओं के साथ माघ सुदी ४ के दिन प्रभु ने दीक्षा स्वीकार की। दो वर्ष छद्मस्थ रहकर प्रभु ने केवलज्ञान प्राप्त किया और तीर्थ की स्थापना की। प्रभु के संघ में 'मंदर' आदि ५७ गणधर थे। अन्त में विमलनाथ प्रभु ने सम्मेदशिखर पर्वत पर छः हजार साधुओं के साथ अनशन स्वीकार किया। एक मास के अनशन में प्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया। ये वर्तमान चौबीसी के तेरहवें तीर्थंकर हैं।
धर्म-परिवार गणधर ५७ वादलबिधधारी
३२०० केवली साधु ५५०० वैक्रियलब्धिधारी
६००० केवली साध्वी ११,००० . साधु
६८,८०० मनःपर्यवज्ञानी ५५०० साध्वी
१,००, 00 अवधिज्ञानी
श्रावक
२,०,८००० पूर्वधर ११०० श्राविका
४,२४,००० . -त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र
४८००
१८०. व्यक्त गणधर 'व्यक्त' भगवान् महावीर के चौथे गणधर थे। ये 'कोल्लाक' गाँव के रहने वाले थे। इनके पिता का नाम 'धनमित्र' और माता का नाम 'वारुणी' था। ये