Book Title: Jain Katha Kosh
Author(s): Chatramalla Muni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh prakashan

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Page 405
________________ ३८८ जैन कथा कोष क्षेत्र पूर्वमहाविदेह - पत्नी पद्मावती विजय वच्छ गृहस्थवास तिरासी लाख पूर्व नगरी सुसीमा सर्वायु चौरासी लाख पूर्व पिता सर्वभूति वर्तमान में तीर्थकर पर्याय में आप वच्छ विजय में विचरण कर रहे हैं। क्षेत्र २०. अजितवीर्य स्वामी विहरमान बीसवें चिह्न रत्नमाला द्वीप अर्धपुष्करद्वीप पत्नी स्वस्तिका पश्चिम महाविदेह __ वर्ण कंचन वर्ण विजय नलिनावती काया पाँच सौ धनुष नगरी वीतशोका गृहस्थवास तिरासी लाख पूर्व पिता राज्यपाल सर्वायु ___ चौरासी लाख पूर्व माता कर्णिका वर्तमान में तीर्थकर रूप में आप वपु विजय में विचर रहे हैं। -श्री विहरमान एकविंशति स्थानक (त्रिलोकसार)

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