Book Title: Jain Katha Kosh
Author(s): Chatramalla Muni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 403
________________ ३८६ जैन कथा कोष १३. चन्द्रबाहु स्वामी चन्द्रबाहु स्वामी तेरहवें विहरमान तीर्थकर हैं। पुष्करार्द्ध द्वीप के पूर्व महाविदेह में पुष्कलावती विजय की पुण्डरीकिणी नगरी में आपने जन्म लिया। पिता का नाम देवानन्द तथा माता का नाम रेणुका है। आपकी चंदनवर्णी काया पर पद्म कमल का चिह्न है। आपकी पत्नी का नाम सुगंधा है। ___ तिरासी लाख पूर्व की आयु में आपने दीक्षा ली। केवलज्ञान प्राप्त किया और तीर्थ स्थापन किया। वर्तमान में आप पुष्करार्द्ध द्वीप की पुष्कलावती विजय में विचरण कर रहे हैं। महाबल क्षेत्र पद्म १४. भुजंग स्वामी विहरमान चौदहवें पिता द्वीप पुष्करार्द्ध द्वीप माता सुसीमा पश्चिम महाविदेह चिह्न विजय वपु पत्नी गन्धसेना नगरी विजयापुरी . गृहस्थवास तिरासी लाख पूर्व तिरासी लाख पूर्व की आयु तक गृहस्थवास के उपरान्त संयम लेकर आपने केवलज्ञान प्राप्त किया। वर्तमान में पुष्करार्द्ध द्वीप की वपु विजय में विचर रहे हैं। द्वीप चन्द्र १५. ईश्वर स्वामी विहरमान पन्द्रहवें माता यशोज्ज्वला अर्धपुष्कद्वीप चिह्न क्षेत्र पूर्वमहाविदेह पत्नी चन्द्रावती विजय वत्स गृहस्थवास तिरासी लाख पूर्व नगरी सुसीमापुरी सर्वायु चौरासी लाख पूर्व पिता राजसेन गृहस्थवास के उपरान्त दीक्षा लेकर आपने केवलज्ञान का उपार्जन किया और तीर्थकर बने । वर्तमान में अर्धपुष्करद्वीप की वत्स विजय में चर

Loading...

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414