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जैन कथा कोष ३८५ का नाम महाराज विजय तथा माता का नाम महारानी विजया है। आप चन्द्र लांछन युक्त हैं। आपकी पत्नी का नाम 'नन्दसेना' है।
तिरासी लाख पूर्व की आयु में आप संयमी बने । केवलज्ञान उपार्जन करके तीर्थकर पद प्राप्त किया। वर्तमान में आप पुष्कलावती विजय में विचर रहे हैं।
१०. विशालधर स्वामी . आप दसवें विहरमान तीर्थकर हैं। धातकीखण्ड में पश्चिम महाविदेह में स्थित वपु विजय की विजयापुरी में आपका जन्म हुआ। आपके पिता नभराय तथा अत्यन्त रूपवती भद्रा महारानी आपकी माता हैं। आपके सूर्य का लांछन है। आपकी पत्नी का नाम विमलादेवी है। ___तिरासी लाख पूर्व की आयु में संयम लेकर केवलज्ञान प्राप्त किया और तीर्थकर पद प्राप्त किया। वर्तमान में आप वयु विजय में विचरण कर रहे हैं।
११. वज्रधर स्वामी इन ग्यारहवें विहरमान तीर्थकर का जन्म धातकीखण्डद्वीप की पूर्व महाविदेह में हुआ। इनका परिचय इस प्रकार हैविजय वच्छ पत्नी
विजया नगरी सुसीमापुरी लांछन
शंख पिता
पद्मरथ गृहस्थवास तिरासी लाख पूर्व माता
सरस्वती __ वर्तमान में आप वच्छ विजय में विचर रहे हैं।
१२. चन्द्रानन स्वामी विहरमान बारहवें माता
पद्मावती द्वीप धातकीखण्डद्वीप लांछन
वृषभ नलिनावती पत्नी
लीलावती नगरी
वीतशोका गृहस्थावास तिरासी लाख पूर्व पिता
वल्मीक सर्वायु चौरासी लाख पूर्व ये चन्द्रानन प्रभु नलिनावती विजय में विचर रहे हैं।
विजय