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२७६ जैन कथा कोष ___एक महीने के अनशन में समाधिमरण प्राप्त किया तथा प्रथम स्वर्ग में . गया। वहाँ से महाविदेह क्षेत्र में होकर मोक्ष में जाएगा।
-उपाशकदशा, अ. ८
पिता
राज्यकाल
१५७. मुनिसुव्रत स्वामी
सारिणी जन्म स्थान
राजगृही दीक्षा तिथि फाल्गुन शुक्ला १२
सुमित्र चारित्र पर्याय ७५०० वर्ष माता
पद्मावती केवलज्ञान तिथि फाल्गुन कृष्णा १२ जन्म-तिथि ज्येष्ठ कृष्णा ८ निर्वाण तिथि ज्येष्ठ कृष्णा ६ कुमार अवस्था ७५० वर्ष कुल आयु ३०,००० वर्ष १५,००० वर्ष चिह्न
कूर्म 'मुनिसुव्रत' स्वामी बीसवें तीर्थंकर हैं। राजगृही नगरी के महाराज 'सुमित्र' की महारानी 'पद्मावती' के उदर से आपका जन्म हुआ। वे अपराजित नाम के चौथे अनुत्तर विमान से च्यवन करके माँ के उदर में आये। ज्येष्ठ बदी नवमी को आपका जन्म हुआ। जब प्रभु गर्भ में थे, तब महारानी पद्मावती की भावना मुनि के व्रतों का पालन करने की जगी। इसलिए पुत्र का नाम 'सुव्रत' रखा। युवावस्था में राजकुमार का प्रभावती आदि अनेक राजकन्याओं से विवाह हुआ। प्रभावती के एक पुत्र भी हुआ, जिसका नाम 'सुव्रत' रखा गया। साढ़े सात हजार वर्ष की आयु में 'सुव्रत' कुमार राजगद्दी पर बैठे। पन्द्रह हजार वर्ष तक राज्य का पालन किया। वर्षीदान देकर एक हजार पुरुषों के साथ फाल्गुन सुदी एकम को संयम ग्रहण किया।
ग्यारह महीने छद्मस्थ रहकर फाल्गुन बदी बारस को केवलज्ञान प्राप्त कर लिया और तीर्थ की स्थापना की। साढ़े सात हजार वर्ष तक संयम पालन करके तीस हजार वर्ष की आयु में एक मास के अनशन में सम्मेदशिखर पर्वत पर एक हजार साधुओं के साथ ज्येष्ठ बदी नौवीं को प्रभु का निर्वाण हुआ। ___ मर्यादा पुरुषोत्तम 'राम' तथा आठवें वासुदेव लक्ष्मण आपके और नमि प्रभु के अन्तराल काल में हुए।