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जैन कथा कोष
प्रथम शय्यातर तथा तत्त्व की मर्मज्ञा थी। जैन इतिहास में जिज्ञासामूलक प्रश्न करने वाली स्त्रियों में 'जयन्ती' का प्रमुख स्थान है।
एक बार भगवान् महावीर कौशाम्बी' पधारे। 'जयन्ती' प्रभु के समवसरण में पहुँची। अपने मन की जिज्ञासाएं प्रभु के सामने रखते हुए विनम्र भाव से उन सबका समाधान चाहा। प्रश्न बहुत उपयोगी तथा पैने थे।
जयन्ती—जीव भारी कैसे होता है? भगवान् महावीर—प्राणातिपात आदि पापस्थानों में प्रवृत्ति करने के कारण । जयन्ती—जीव हल्का कैसे होता है? भगवान् महावीर—पापस्थानों से विरमण होने से।
जयन्ती-जीव दुर्बल, आलसी व प्रसुप्त अच्छे हैं या बलवान, उद्यमी व जागृत अच्छे हैं? ___ भगवान् महावीर-जो व्यक्ति अधर्मनिष्ठ हैं, वे दुर्बल, आलसी और प्रसप्त अच्छे हैं तथा जो व्यक्ति धर्मनिष्ठ हैं, वे बलवान, उद्यमी तथा जागृत अच्छे हैं।
जयन्ती—जीव भवि स्वभाव से होते हैं या परिणाम से?
भगवान् महावीर स्वभाव से होता है। अभवि का भवि या भवि का अभवि रूप में कभी परिणमन नहीं हो सकता।
जयन्ती ने अनेकानेक ऐसे प्रश्न किये, जिन्हें सुनकर सारे लोग चमत्कृत हो उठे। उस समय तो वह अपने महलों में चली गई। कुछ समय के बाद भगवान् महावीर के पास दीक्षित होकर केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष में पहुंची।
-भगवती, १२/२
८६. जशोभद्र 'जशोभद्र' नलिनीगुल्म विमान से च्यवकर 'ईक्षुकार' नगर में 'भृगु' नाम के पुरोहित की पत्नी 'जसा' की कुक्षी से पैदा हुआ। एक भाई और था जिसका नाम था 'देवभद्र'। दोनों भाई देवलोक में भी साथ थे तो यहाँ भी दोनों में घनिष्ठ प्रेम था।
भृगु पुरोहित को पहले ही यह बता दिया गया था कि तुम्हारे पुत्र तो हो सकते हैं, पर वे बाल्यावस्था में ही मुनि बन जायेंगे। पुत्र साधु न बन जाएं, इसलिए पुरोहित नगर को छोड़कर जंगल (एकान्तवास) में मकान बनाकर रहने लगा। वह इसलिए कि कहीं साधु इनके नजर ही न चढ़ सकें। अपने पुत्रों
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