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• व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं होती ।
• शांति का अनुभव नहीं होने पर वह बैचेन रहता है ।
तनावों का दैहिक प्रभाव :
• उसे भूख नहीं लगती। भूख लग भी रही हो, तो भी खाने का मन नहीं करता। वह खाता भी है तो अनमने मन से, जो स्वास्थ्य के लिए घातक होता है ।
• वह अपने ही शरीर को ही नुकसान पहुचाता है। उदाहरण :- कोई प्रेम में असफल हो जाता है, तो चाकू से अपने शरीर पर उस व्यक्ति का नाम लिखने लगता है जिससे उसे प्रेम था ।
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• तनावयुक्त व्यक्ति को नींद नहीं आती है ।
• अनेक बीमारियाँ, उसके शरीर में घर कर लेती हैं। रक्तचाप, मधुमेह आदि । हृदयाघात होने का भी एक मुख्य कारण तनाव ही है।
• तनावग्रस्त होने से व्यक्ति अपना क्रोध, दूसरो को मार-पीट करके निकालता है।
• तनाव जब अधिक बढ़ जाता है तो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है, परिणामस्वरूप वह पागल हो जाता है ।
• जिसे अपना ही होश नहीं है वह अच्छा-बुरा क्या सोचेगा । अतः वह दूसरों की जान ले लेता है या फिर आत्महत्या कर लेता है ।
तनाव का भावनात्मक प्रभाव :
• मेरे साथ बुरा हुआ है, तो मैं भी सब का बुरा ही करूँगा । ऐसी भावना उत्पन्न हो जाती है ।
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