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कि वे तीव्र तनाव की स्थिति में है। ऐसा तनाव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। तनाव के व्यक्ति की मानसिकता पर निम्न प्रभाव होते है
• व्यक्ति बात करते-करते अचानक चुप हो जाता है।
• तनावयुक्त व्यक्ति को अंधेरे में रहना अच्छा लगता है।
• किसी से बात करने की इच्छा ही नहीं होती है अर्थात एकांत प्रिय हो
जाता है।
• चिड़चिड़ाहट या क्रोध उसका स्वभाव बन जाता है।
• कभी-कभी व्यक्ति का स्वभाव क्रोधादि की स्थिति में पहले से विपरीत भी
हो जाता है और कभी कोई उसे कितना भी सताए वह चुपचाप सहन करता रहता है।
• काम करते-करते होश खो देता है। उदाहरण :-व्यक्ति गाड़ी चलाता रहता है, लेकिन मस्तिष्क यही सोचता रहता है कि अब क्या करूंगां, अब यह कैसे होगा आदि। चिन्ता में वह इतना खो जाता है कि आँखें खुली होते हुए भी उसे कुछ दिखाई नहीं देता और उसके परिणामस्वरूप दुर्घटना घटित हो जाती है।
मस्तिष्क इतना तनावग्रस्त हो जाता है कि उसकी सोचने समझने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। जिसके कारण वह किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं कर पाता है, परिणाम यह होता है कि उसे सदा असफलता ही हाथ लगती है।
• दुःख से उत्पन्न तनाव में व्यक्ति को रोने या विलाप करने से मन में
हल्कापन महसूस होता है।
• व्यक्ति को सही-गलत का भान नहीं रहता है।
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