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। ३४ ) (१) इस अङ्ग को प्रन्थकार ने बहुत ही रुचिकर बनाया है । उन्हें जैन पुराणों के जितने स्त्री पुरुष मिले हैं सब ही का सूक्ष्म परिचय दिलाया है।
(२) कितने ही प्राचीन तथा नवीन जैन प्रन्यकारों की जीवनी उनके निर्माण किये हुये। गयों की नामावली सहित इस एक ही गन्थ में मिल सकेगी।
(३) कितने ही व्यक्तियों के इतिहास इस उत्तमताले लिखे गये हैं कि उन से इतिहासवेत्ता जैनेतर महानुभाव भी बहुत कुछ लाभ उठा सकेंगे। क्योंकि इस खोज में निजानुभव के साथ ही साथ अन्य देशीय विद्वानों को सम्मतियों का भी उचित आदर किया | गया है-उदाहरण के लिये 'अजयपाल' शब्द के अन्तर्गत 'कमारपाल' तथा 'अजितनाथ' तीर्थकर सम्बन्धी इतिहास ज्ञातव्य विषय हैं । इन इतिहासों को सम्गदक ने सर्वांगपूर्ण बना-| ने का पूर्ण प्रयत्न किया है। इनमें से पहिले सज्जन के चरित्र का चित्रण करने के लिये 'बलर' साहिब की 'मरहट्टा कथा' के अनुसार उसके ४० वर्ष पीछे होने वाले जगडूशाह के समय का दिग्दर्शन खोज से सम्बन्ध रखता है।
(४) प्रधान राजवंशों का सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करने के लिये ग्रन्थ में स्थान २ पर ऐसी सारणियां दे दी गई हैं जो क्रमानुसार एक के पीछे दूसरे राजाके समयादि का परिचय दिला सकेंगी। उदाहरण के लिये पृष्ठ १६६ पर 'मगध देश' इत्यादि के राजाओं की सारिणी उपस्थित की जा सकती है। ५. वर्तमान कोष की उपयोगिता
उपर्युक गुणों पर ध्यान देने से हम समझ सकते हैं कि यह महान कोष जैन और अजैन सर्व ही को लाभ पहुँचा सकता है। (क) जैन पाठकों को होने वाले लाभ
(१) इसमें चारों ही अनुयोग--प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरण नुयोग, और द्रव्यानुयोग-के सैकड़ों सहस्रों जैन ग्रन्थों में आये हुए सर्व प्रकार के शब्दों का अर्थ सविस्तर व्याख्या आदि सहित है। अतः जो महाशय किन्हीं विशेष कारणों से पृथक् पृथक् गून्योंका | अध्ययन नहीं कर सकते वे इस एक ही गून्थ की स्वाध्याय से सर्व प्रकार के जैन गन्धों के अध्ययन का बहुत कुछ लाभ उठा सकेंगे।
(२) इसमें सर्व शब्द अकारादि क्रमबद्ध हैं अतः किसी भी जैन ग्रन्थ की स्वाध्याय करते समय जिस शब्द का अर्थ आदि जानने की आवश्यकता हो वह अकारादि क्रम से ढंढने पर तुरन्त ही इस में मिल जायगा । इधर उधर अन्य कहीं ढूँढने का कष्ट न उठाना पड़ेगा।
(३) सर्व प्रकार के व्रतोपवास और व्रतोद्यापन आदि की सविस्तर विधि तथा अनेक प्रकार के मंत्र और उनके जपने की रीति आदि भी इसी में यथास्थान मिलेंगी। इत्यादि ।। (ख) जैने तर सज्जनों को होने वाले लाभ
(१) जिन लोगों को जैनधर्म का कुछ ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा हो और उसको वि. शेष गून्थों के देखने का अवसर न मिला हो उनको यह बहुत कुछ लाभ पहुँचा सकता है
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