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पृष्ठ
कालम
पंक्ति
अशुद्ध
१८१२।१६ इसीके
१८४/२/१ तर्थङ्करो
१८६।२।३० 'शी
१८६११७ इड्ढि १६८२१५ कापिक
१६८/२/१६ समारम्भ
२०६/२/१६ स्वोमि
२१९/१/१२ सुप्रसिद्ध एक २९६| १ | १३ जैन लेखक
हाथरस निवासी
२२३।१।१९ भेदो
२३११ x | हेडिङ्ग अट्ठानवन
२३८।२।१ लक्षापवास
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शुद्ध
इलाके जैसे
तीर्थङ्करो
वंशी
इड़ दि
कायिक
( २८३ }
समारम्भ
स्वामी
एक सुप्रसिद्ध
लेखक
भेद
अट्ठावन कक्षोपवास
५४
कालम पति
अशुद्ध
किसी
२४३/२/३४ किल २४७/१/१३ शरीराङ्गोपांगा- शरीराङ्गोपाङ्का
वलोन
२४८/२/१४ दर्शनेच्छोत्प
२४८|६|४ प्रेमीसत्का
२५१/२/३३ धूम्रकेतु
२५६।२।१८ भमि
२६३/९/४ विद्य
२६३/२।१७४
२७३/२/३ उष्णस्तिध
२७७/२/१४ aut
२७२/११४ कढ़ी
शुद्ध
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लोकम दर्शनेच्छोत्पा
प्रेमीसत्कार
धूम्रकेतु
भूमि
विद्य ु -
२०
उष्ण स्निग्ध
ant
कनड़ी
नोट - उपरोक्त अशुद्धियों के अतिरिक्त भी छपते समय प्रेस के दबाव में आकर किसी आगे पीछे की या ऊपर नीचे की मात्रा या अनुस्वार (बिन्दु) अथवा रेफाके टूट जानेसे कोई शब्द जहां कहीं अशुद्ध हो गया हो वहां पाठकमहोदय यथाआवश्यक शुद्ध करके पढ़े ॥
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