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अकम्पन
वृहत् जन शब्दार्णव
अकम्पन
४. व्यक्त (अव्यक्त)-ये "कोल्लाग-सन्नि- ६. धवल (अचल भ्राता -ये कोशला. वेश" निवासी “धनुमित्र" ब्राह्मण की | पुरी निवासी “वसु" नामक ब्राह्मण की "वारुणी" नामक स्त्री के गर्भ से जन्मे। स्त्री "नन्दा" के उदर से जन्मे ॥
५. सुधर्म-ये "कोल्लागसन्निवेश" निवा- १०. मैत्रेय ( मेतार्य )-ये वत्सदेशस्थ | सी "धम्मिल' ब्राह्मण की “भद्रिलाभव" तुगिकाख्य निवासी "दत्त" ब्राह्मण कीस्त्री! नामक स्त्री के पुत्र थे ।
"करुणा" के गर्भ से जन्मे ॥ ६ मौंड मंडिक ) ये मौर्याख्य देश
११. प्रभास-ये राजगृही निवासी निवासी "धनदेव" ब्राह्मण की "विजया.
"बल" नामक ब्राह्मण की पत्नी 'भद्रा" देवी" स्त्री के ग से जन्मे ॥
की कुक्षि से जन्मे ॥ ७ मौर्यपुत्र-ये मौर्याख्यदेश निवासी 'मोर्यक" ब्राह्मण के पुत्र थे॥
इन ११ गणधरों की आयु क्रम से ६२, ८ अकम्पन (अकम्पित)-येमिथिला- २४, ७०, ८०, १००, ८३, ६५, ७८, ७२, ६०, पुरी निवासी “देव" नामक ब्राह्मण की ४० वर्ष की हुई । यह सर्व ही वेद वेदांग "जयन्ती” नामक स्त्री के उदर से जन्मे ॥ आदि शास्त्री के पारगामी और उच्च कुली से ५६ तक पर सविस्तर प्रकाशित हो चुके हैं । तथा "भारत के प्राचीन राजवंश" नामक ग्रन्थ के द्वितीय भाग की प्रथमा वृत्ति के पृ० ४२, ४३ पर भी 'जैन हितैषी भाग १३, अङ्क
प्र०५३३ के हवाले से इस के सम्बन्ध में एक संक्षिप्त लेख है । इन सर्व लेखों को गम्भीर विचार पूर्वक पढ़ने और श्री त्रैलोक्यसार की गा० ८५०, वसुनन्दी श्रावकाचार, कई प्राचीन पट्टावलियों और कलकत्ते से प्रकाशित श्री हरिवंशपुराण की प्रस्तावना के पृ० १२ की पंक्ति २२से २६ तक, तथा सूरत से महट्टी भाषा में प्रकाशित श्री कुन्द कुन्दाचार्य चरित्र की प्रथमावृत्ति के पृ० २५, पंक्ति ६, इत्यादि से श्री वीर निर्वाण काल विक्रमजन्म से ४७० वर्ष पूर्व और विक्रम सम्बत् के प्रारम्भ से ४८८ वर्ष ५ मास पूर्व का 'अर्थात् सन् ईस्वी के प्रारम्भ से ५४५ (४८८५५७) वर्ष दो मास पूर्व का नि:शङ्क भले प्रकार सिद्ध हाता है । आजकल जैन पंचाग या जैन समाचार पत्रों आदि में जो वीरनिर्वाण सम्वत् लिखा जाता है वह विक्रम सम्वत् से ४६६ वर्ष ५ मास पूर्व और सन् ईस्वी से लगभग ५२६ वर्ष दो मास पूर्व मानकर प्रचलित हो रहा है जिसमें वास्तविक सम्वत् से १६ वर्ष का अन्तर पड़ गया है । इस कोष के सम्पादक के कई लेख जैनमित्र वर्ष २२ अङ्क ३३ पृ. ५१३, ५१४; अहिंसा, वर्ष १ अङ्क २० पृ० १०; दिगम्बरजैन वर्ष १४ अङ्क ६ पृ० २५ से २८ तक, इत्यादि कई जैन समाचार पत्रों में इस सम्बत् के निर्णयार्थ प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें कई दृढ़ प्रमाणों द्वारा यही सिद्ध किया गया है कि श्री वीर निर्वाण काल शक शालिवाहन के जन्म से ६०५ वर्ष ५ मास पूर्व और शाका सम्वत् से ६२३ वर्ष ५ मास पूर्व अर्थात् विक्रम सम्वत् से ४८८ वर्ष मास पूर्व का है जिससे जैनधर्मभूषण ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी, स्वर्गीय ब्रह्मचारी झानानन्दजी आदि कई जैन विद्वान पूर्णतयः सहमत हैं और इसके विरुद्ध किसी महानुभाव का कोई लेख किसी समाचार पत्र में आज तक प्रकाशित हुआ नहीं देखने में आया है अतः इस कोष के लेखक की सम्मति में यही समय ठीक जान पड़ता है ॥
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