Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

View full book text
Previous | Next

Page 307
________________ NHSARAPRI5550MAINTAINA (२४३ ) अठारह द्रव्यश्रु त भेद वृहत् जैन शब्दार्णव अठारह नाते अठारह द्रव्यश्रुतभेद-(१) अर्याक्षरः प्राणियों में से प्रत्येक के साथ छह छह, (२) अर्थाक्षरसमास (३) पद (४) पदस एवम् तीनों के साथ १८ नातों की एक मास (५) संघात (६) संघातसमास (७) कथा पुराण प्रसिद्ध है जो संक्षिप्तरूप में | निम्नोक्त है:प्रतिपत्तिक (८) प्रतिपत्तिकसमास (९) अनुयोग (१०) अनुयोगसमास (११) प्रा. किसी समय 'विश्वसेन' नामक राजा | भृतप्राभूतक (१२) प्राभृतप्राभृतकसमास के शासन काल में मालव देश की राज(१३) प्राभृत (१७) प्राभृतसमास (१५) धानी ‘उज्जयनी' में एक १६ कोटि द्रव्य वस्तु (१६) घस्तुसमास (१७) पूर्व (१८) का धनी सुदत्त श्रेष्ठी रहता था। यह सेठ पूर्वसमास । (पीछे देखो शब्द 'अक्षर एक 'बसन्ततिलका' नामक वेश्या से समास', 'अक्षर-समासज्ञान', 'अक्षरशान', आसक्त था । उस सेठ के सम्बन्ध से। 'अक्षरात्मक-श्रु तज्ञान' और उनके नोट, वेश्या के गर्भ से एक युगल पुत्र पुत्री का | पृ०३९, ४०, ४१) ॥ जन्म हुआ। वेश्या ने बड़े यत्न से पुत्र को गो० जी० ३४७, ३४८, । तो नगर के उत्तर द्वार से बाहर और पुत्री ३१४-३१७... को दक्षिण द्वार से बाहर कहीं जंगल में पहुँचा दिया। पुत्र तो साकेतपुर निवासी अठारह नाते-अनादिकाल से संसार एक 'सुभद्र' नामक बनजारे के हाथ लगा में बारम्बार जन्म मरण करते हुये प्रा. और पुत्री प्रयाग निवासी एक अन्य बनणियों के परस्पर अनेक और अगणितः | जारे के हाथ लगी। दोनों ने अपने अपने | सम्बन्ध तो होते ही रहते हैं अर्थात्, जो घर उन्हें बड़े यत्न से पाला । पुत्र का नाम दो प्राणी आज भाई भाई हैं ये परस्पर 'धनदेव' और पुत्री का नाम 'कमला' रखा कभी पिता पुत्र, कभी पिता पुत्री, कभी गया। युवावस्था प्राप्त होने पर कर्मवश माता पुत्र, माता पुत्री, भाई बहन, पति | इन दोनों का परस्पर विवाह होगया पत्नि, मित्र मित्र, शत्रु शत्रु, चचा भर्ताजे, अर्थात् जो एकही उदर से पैदा हुए भाईचचा भतीजी, चची भतीजे, दादा पोते, | बहन थे वही अब अनजानपने से पतिनाना दोहिता, श्वसुर जामाता, इत्यादि पनि हो गए । एकदा 'धनदेव' अपने इत्यादि सर्व ही प्रकार के सम्बन्ध पाते। साकेतनगर से बणिज के लिये 'उज्जयनी' रहे हैं और पाते रहेंगे जबतक फर्मवन्धन | गया जहां 'बसन्ततिलका' वेश्या से, जो में जिकड़ रहे हैं । परन्तु संसार चक्र | इस की माता थी, इसका अनजान में में इस प्रकार चक्कर काटते हुये कभी कभी सम्बन्ध हुआ जिससे वेश्या गर्भवती हो ऐसा भी होता है कि एक ही जन्म में गई । नवम मास में वेश्या के गर्भ से एक कई २ प्राणियों के परस्पर कई २ नाते स- पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम परुणं म्बन्ध हो जाते हैं। साधारण दो दो तीन रखा गयी। तीन नातों के उदाहरण तो अद्यापि बहुतेरे | एक दिन जब कमला ने अपने परदेश मिल जायगे पर एक प्राणी के अन्य तीन गये पति 'धनदेव' के समाचार किसी - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352