Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

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Page 330
________________ M ._ms. I सख्या (वरसेन) । ( २६६ ) धातकी खण्ड द्वीप (पूर्व भाग)। | पूर्व भरतक्षेत्र (विजय मेरु के दक्षिण) । पूर्व पेरावत क्षेत्र (विजय भेरु के उत्तर)। अतीतचौबीसी वर्तमान २४ सी अनागत ४सी अतीत २४सा वर्तमान२४सी अनागत२४सी श्री रत्न प्रभ श्री युगादिदेव श्री सिद्धनाथ श्रीवजूस्वामिन् श्रीअपश्चिम | श्री धीरनाथ ,, अमितनाथ , सिद्धांत | सम्यकनाथ ,, उदयदत्त , पुप्पदत्त श्रीविजयप्रभ ३" सम्भवनाथ ,, महेशनाथ , जिनेन्द्रदेव | सूर्यदेव |., अरिहन्त श्रीसत्यप्रभ ४" अकलङ्क ,, परमार्थ | , सम्प्रतिनाथ ,, पुरुषोत्तम | , सुच्चारित्र श्रीमहामृगेन्द्र ५,,चन्द्रस्वामिन् ,, समुद्धर् . ,, सर्वस्वामिन् शरणस्वामिन् ,, सिद्धानन्द श्रीचिन्तामणि ६ :, शुभङ्कर , भूधरनाथ | , मुनिनाथ 1,, अविरोधन |,, नन्दक | খ্রীসহ ७ ., तत्वनाथ ,, उद्यात , वशिष्ठदेव ,, विक्रम ;, पनाकर श्रीद्विमृगेन्द्र (पअकूप) ८),सुन्दरस्वामिन् ,, आजवअद्वितीयदेव ,, निर्घटक |,, उदयनाभि श्रीउपचासिक (अग्रनाथ) ६. पुरन्दर , अभय नाथ ,, ब्रह्म शांति ,, हरीन्द्र ,, रुक्मेन्दु श्रीपदाचन्द्र १०, स्वामिदेव | ,, अप्रकम्प |, पूर्वनाथ प्रतिरित | ,, कृपाल श्रीबोधकेन्दु (परिप्रेरित ११, देवदत्त , पद्मनाथ | अकामुकदेव ,, निर्वाणपूर ,, प्रोष्टिल श्रीचिन्ताहिम ११२, वासवदत्त , पद्मनन्दि |, ध्याननाथ ,, धर्मधुरन्धर ,, सिद्धेश्वर श्रीउत्साहिक १२३, श्रेयनाथ ,,प्रयंकर |, कल्पजिन |,, चतुर्मुख ,, अमृतेन्दु |श्रीउपासिक (श्रेयांश) : (अपासिक) १२४, विश्वरूप , सुकृतनाथ ,, संवर देव |, कृतेन्द्र , स्वामिनाथ श्रीजलदेव १५, तपोज, सुभद्रनाथ ,,स्वच्छनाथ , श्रुताम्बुधि , भुवनलिंग श्रीमारिकदेव १६), प्रतिबोधदेव ,, मुनिचन्द्र , आनन्दनाथ, विमलादित्य ., सर्वार्थ श्रीअमोघ (मणिचन्द्र) (अनिन्ध) ११७ ,, सिद्धार्थदेव ,, पंचमुष्टि , रविप्रभ ., देव प्रभ |, मेघनन्द श्रीनागेन्द्र १८ , अमलप्रभ,, त्रिमुष्टि ., चन्द्रप्रभ |, धरणेन्द्र | ., नन्दकेश श्रीनीलोत्पल (प्रभंजन) २९, अमलसंयम, गांगयिक, नन्दसुन्दर ,, तीर्थनाथ ., अधिष्णत्रिक श्रीअप्रकम्प नाथ २०, देवेन्द्र |, 'गण नाथ | ,, सुकर्णदेव उदयानन्द | ,, हरिनाथ श्री पुरोहित २१ ,, प्रवरनाथ |,, सर्वाङ्ग देव ,, सुकर्मणदेव ,, सर्वार्थदेव |, शान्तिकदेव श्रीभिन्दकनाथ (उपेन्द्र) २२,, विश्वसेन |, ब्रह्मन्द्रनाथ ,, अममदेव |, धार्मिक |, आनन्द श्रीपार्श्वनाथ स्वामिम् २३ ,, मेघनन्दि , इन्द्रदत्त | पार्श्वनाथ , क्षेत्रनाथ | ., कुन्दपार्श्व | श्रीनिर्वाच्यक २, त्रिनेत्रिक , दयानाथ , विरोचन | श्रीविरोषनाथ 1 । सर्वज्ञ . ।”(जिनपति) |" शास्वतनाथ " हरिचन्द्र amminisammom (स्वयबुद्ध । RANI Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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