________________
mumo
u
ranounce
WW.
७०
U
~
( २६७ )
धातकीखंड द्वीप (पश्चिम भाग) F पश्चिम भरत क्षेत्र ( अचल मेरु के दक्षिण ) पश्चिम ऐरावत क्षेत्र (अचल मेरु के उत्तर) अतीतचीबीसी वर्तमानचौ० । अनागतचौ० अतीत चौ० | वर्तमान चौ०। अनामत्स चौ० श्री वृषभ देव श्री विश्वचन्द्र श्री रक्त केश श्री सुमेरु श्री उषाधिक श्री रवीन्द्र श्री प्रिय मित्र श्री कपिलदेव श्री चक्र हस्त, जिनकृत " जिन स्वामि " सुकुमालिका श्रीशान्तिनाथ श्री ऋषभदेव श्री कृत नाथ | कैटभ नाध, स्तमितेन्द्र " पृथ्वी पान
रुषिकेश,अरुषि
प्रश्रित वन्त ४ श्रीसुमतिनाथ श्री प्रिय तेज श्री जिनचन्द्र | " प्रशस्त ,अत्यानन्दधाम " कुलरत्न
(परमेश्वर) श्रीअतीतजिन श्री प्रशम श्री सुमूर्तदेव ,निदर्प (निर्मद)"पुष्पकोत्फल्लक " धर्मनाथ | | ( आदिजिन) (विषमाँग) | , अन्यक्तजिन श्री चारित्रनाथ श्री मुक्तकांत " कुलकर " मुंडिक ' सोमजिन
(अपिसोम)। श्रीकमल सेन ,,प्रशमस्वामिन् श्री निकेश" वर्द्धमान प्रहित देव " वरुणेन्द्र |, सर्व जिन | श्री प्रभादित्य श्री प्रशान्लिक " अमृतेन्दुः " मदन सिंह " अभिनन्दन ,, प्रबोधजिन श्री पुंजकेश श्री निराहार , संख्यानन्द ” हस्तेन्द्र " सर्वनाथ
, निवृत्त देव श्री पीतवास श्री अमूर्त " कल्पकृत, चन्द्र पाश्र्ध सुदृष्ट ११ ,, सौधर्म श्री सुराधिप श्री द्विजनाथ " हरिनाद | ""अब्ज बोध "शिष्ठ जिन १२ ,, अर्द्धदीप्त श्री दया नाथ ,, श्रेयनाथ "बहुस्वामिन्" जिन बल्लभ " धन्य जिन तमोदीप्त) (स्वेतांगद)
(जिनाष्टि) (सुपर्ण) २३ ,, जास श्रीसहस्ररश्मि 1, अरुज नाथ " भार्गव , विभूति सोमचन्द्र १४, प्रबुद्धनाथ श्री जिन सिंह , , देवनाथ: |, सुभद्र देव ,, कुकुप्श. . " क्षेत्राधीश
(कुसूर ) । १५/ ,, प्रबन्धदेव श्री रेवतिनाथ ., दयाधिक , पविपति |" स्वर्ण शरीर "सदंतिकनाथ १६), अतीत श्री वाहु जिन ,, पुष्पनाथ " विपेषित , हरिवास " जयन्त देव | (अमितनाथ)
(कृमय) १७ सुमुख देव श्री श्रीमाल | , नरमाथ ,, ब्रह्मचारित्र " प्रियमित्र " तमोरिपु. ३१८,, पल्योपम श्री अयोगदेव , प्रतिभूत " असंश्यक " सुधर्मदेव " निर्मल देष १६ ,, अकोप देव श्रीअयोगनाथ ,, नागेन्द्र • चारित्रसेन , प्रियरत्न " कृतपार्थ २० ,, निष्ठित , कामरिषु | " तपोधिक , परिणामिक " नन्दिनाथ
"वोधलाम
- (बहुप्राव) २१ ,, मृग नाभि श्रीअरण्यवाहु , दशानन , शाश्वतनाथ " अश्वानीक " बाहुनन्द
(कम्बोज) २२ ,, देवेन्द्र श्री नेमिनाथ , आरण्यक , निधिनाय " पूर्व नाथ " कुष्टिजिन २३ ,, पदस्थित गर्भ नाथ, दशानीक, कौशिक " पार्श्वनाथ ” ककुनाभ
(विकंक २४ , शिवनाथ | इकार्जित सात्विक |, धर्मेश चित्र हृदय " वक्षेश
| (मौप्टिक)
-
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org