Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

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Page 324
________________ ( २६० ) अढ़ाईद्वीप पाठ वृहत् जैन शब्दार्णव अढाई द्वीप पाठ (१) हरिवंश पुराण ( २ ) पद्म ३. श्री सुरेन्द्रभूषण-इन का समय पुराण ( ३ ) जम्बूस्वामी चरित्र, (४ ) विक्रमकी १६वीं शताब्दी है ( स० १८८२)। हनुचरित्र (५) होली चरित्र ( ६ ) रात्रि | इनके बनाये अन्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं:भोजन कथा, (७) जम्बद्वीप, पूजन, (८) मुनिसुव्रत पुराण,श्रेयांशनाथ पुराण अनन्तव्रत पूजा (8) चविंशत्युद्यापन | श्रेयस्करणोद्यापन, सुख सम्पति व्रतोद्या (१०) मेध मालोद्यापन ( ११) चतुर्विंश पन, चतुर्दशोद्यापन, भक्तामरोद्यापन, कदुत्तरद्वादशशतोद्यापन (१२) अनन्त व्रतो ल्याण मन्दिरोद्यापन, रोहिणी कथा, सार द्यापन (१३) वृहत्सिद्ध चक पूजा (१४) | संग्रह, चर्चा शतक, पंचकल्याणक पूजा धर्मपंचासिका। (दि. ० ३७०) (दि० प्र०९७) ४. माधव राजपुर निवासी पं० डालू२, त्रिविधविद्याधर षट भाषाकविचक्र- राम अग्रवाल--इनका समय विक्रम की वर्ती श्रीशुभचन्द्र--इनका समय विक्रम की १६वीं शताब्दी है। इनके बनाये अन्य ग्रन्थ १७ वीं शताब्दी है (सं०१६८०)। इनके रचे निम्न लिखित हैं:अन्य ग्रन्थ निम्न लिखित हैं:-- गुरूपदेश श्रावकाचार छन्दोबद्ध १ सुभाषितरत्नावली, २ जीवन्धरचरित्र, (सं० १८६७ में ), श्रीमत्सम्यकप्रकाश छन्दोईपांडयपुराण,४ प्रद्युम्नचरित्र, ५ करकंडुचरित्र वद्ध (सं० १८७१ में ), पंचपरमेष्ठी पूजा, ६ जिनयशकल्प, ७ श्रेणिकचरित्र, - सुभाषि. अष्टान्हिका पूजा, शिखरविलास पूजा, पंचतोर्णन, सम्यक्त्वकौमुदी, १० श्रीपालचरित्र कल्याणक पूजा, इन्द्रध्वज पूजा, द्वादशांग ११पद्मनाभपुराण, १२ अंगप्रज्ञप्ति, १३ त्रैलोक्य पूजा, प | पूजा, पंचमेरु पूजा, रत्नत्रय पूजा, दशप्राप्ति,१४चिन्तामणिलघुव्याकरण,१५अपशब्द लक्षण पूजा, तीनचौबीसी पूजा ॥ खंडन,१६तर्कशास्त्र,१७स्तोत्रपञ्चक,१८सहस्त्र (दि० प्र०४८, पृ०४४) नामस्तोत्र, १९षटपदस्तोत्र,२०नन्दीश्वरकथा,३१ ५. पं० जवाहिरलाल-इनका समय भी धिक्रम की १६वीं शताब्दी है । इन्होंने षोडशकारणोद्यापन,२२चतुर्विंशतिजिनपूजा,२३ यह पाठ लगभग ९५०० श्लोक प्रमाण सर्वतोभद्रपूजा,२४चारित्रशद्धितपोद्यापन,२५ - हिन्दी भाषा में लिख कर शुभ मिती ज्येष्ट तेरहद्वीपपूजा,२६पंचपरमेष्टीपूजा, २७चतुस्त्रिंश गु० १३ शक्रवार, विक्रम सं० १८८७ में | दधिकद्वादशशत्नतोद्यापन(१२३४व्रतोद्यापन), पूर्ण किया था। इनके रचे अन्य ग्रन्थ नि२८पत्यव्रतोद्यापन,२१कर्सदहन पूजा, ३० सिद्ध | | स्नोक्त हैं: सिद्धक्षेत्र पूजा,सम्मेदशिखर माहात्म्य चक्रवहत्पूजा, ३१समयसारपूजा, ३२ गणधर | पूजा विधान सहित, त्रैलोक्यसार पूजा, वलयपूजा, ३३ चिन्तामणियंत्रपूला, ३४विमान तीनचौबीसी पूजा, त्रिकाल चौबीसी पाठ । शुद्धिशान्तिक,३५ अम्बिका कल्प, ३६ स्वरूप या तीसचौबीसीपाठ (वि० सं० १८७८ में ) | संबोधन की टीका,,३७अध्यात्मपद की टीका, नोट २. इनमें से पहिलेतीन महानुभावों ३८ स्वाभिकार्तिकेयानुप्रक्षा की टीका, ३६अष्ट के रचित पाठ संस्कृत भाषा में हैं और अंतिम दो के हिन्दी भाषा में हैं। पाहड़की टोका,४०तत्वार्थरीका,११पार्श्वनाथ ___नोट ३.-अढ़ाईद्वीप सम्बन्धी ३६८ अ. काश्य की पंजिका टीका, ४२ आशाधरकृत | कृत्रिम जिनालयों का विवरण जानने के लिये पूजाकी टीका, ४३प मनन्दिपंचविंशति का की पीछे देखो शब्द "अकृत्रिम चैत्यालय' नोटों टीका, ४३ सारस्पन-यंत्र पूजा॥ सहित पृ० २२ और शब्द"अढ़ाईद्वीप"के नोट (६ि० प्र० ३३४) । २ का नं० १५ पृ० २५९ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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