Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

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Page 322
________________ ( २५E ) अढाई द्वीप वृहत् जैनशब्दार्णव अढ़ाईद्वीप और शेष ७६ नदियाँ जिन कुण्डों से नि- ण समुद्र का एक भाग)है उसका नामआजकल कलती हैं घे कुंण्ड ७६, एवम् सर्व कुण्ड | हिंद महासागर प्रसिद्ध है । अरबकी खाड़ीऔर ९० हैं। अतः पांचो मेरु सम्बन्धी सर्व | बङ्गालकी खाड़ी इस उपसमुद्र के मुख्यविभाग कुण्ड ४५० (५xt=४५०) हैं॥ और लाल समुद्र, अदन की खाड़ी, पारसकी (त्रि० गा० ५८६, ७३१, ६२६) खाड़ी, ओमान की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, १३. पृथ्वीकायिक अकृत्रिम वृक्ष१४०१२०० खम्बातकी खाड़ी, मनार की खाड़ी, मर्ताबान जम्बद्वीप में जम्बू वृक्ष १ और शाल्मली की खाड़ी, इत्यादि अनेक इसके उपभाग हैं। वृक्ष १,धातकीडीप में धातकी दृक्ष २ और इस 'हिन्द महासागर' नामक उपसमुद्र शाल्मली वृक्ष ३, पुष्कराद्ध में पुष्कर वृक्ष में जो अन्तरद्वीप हैं और जिनके नाम, रूप, २ और शाल्मली वृक्ष २, एवम् सर्व आकार, और परिमाण आदि में समय के १० महावृक्ष हैं । इन १० महावृक्षों में से फेर से बहुत कुछ परिवर्तन भी होता रहता प्रत्येक के परिवार वृक्ष १४०११६ हैं, अतः है उनमें से कुछेक आजकल निम्न लिखित सर्व परिवार वृक्ष १४०११९० हैं जिन की नामो से प्रसिद्ध है:संख्या १०.मुख्य वृक्षों सहित१४०१२०० है (१) अफ्रीका देश के निकट उसके पूर्व में (त्रि०गा०६३६-६५२,६३४, ५६२) मैडेगास्कर ( लगभग ६८० मील लम्बा १४. मुख्य अन्तरद्वीप ४५४२१६४- और ३०० मील चौड़ा) और इसके आस [१] अढाई द्वीप के सर्व १६० विदेह देशों पास नियन, मॉरीशस रोड्रीगीज़,सीचै में से प्रत्येकके आर्यखंड में सीता सीतोदा लीज़, अमीरेंटीज़, प्रोविडेंस और कोमोरो नदियों के निकट एक २ उपसमुद्र है । तथा | आदि अनेक अन्तरद्वीप हैं। ५ भरत और ५ ऐरावत क्षेत्रों में से प्रत्येक | (२) अरब देश के दक्षिण ( अफ्रीका के के निकटमी महासमुद्रों के अंशरूप एकएक पूर्व ) पैरिम, सॉकोटरा, फ्यूरियाम्यूउपसमुद्र है । अतः सर्व उपसमुद्र १७०हैं । | रिया, आदि हैं। '! (३) पारस देश की खाड़ी में पारस और | इनमें से प्रत्येक में ५६ साधारण अन्तर ___ अरब देशों के मध्य बहरेन और ऑरद्वीप, २६००० रत्नाकर द्वीप और कुक्षि मज़ आदि हैं। वास ७००, एवम् सर्व २६७५६ हैं। अतः (४) भारतवर्ष के निकट उसके दक्षिण-पश्चिम १७० उपसमुद्रों में सर्व ४५४८५२० ( १७० | में लकाद्वीप, मालद्वीप आदि छोटे छोटे ४ २६७५६ = ४५४८५२०) अन्तरद्वीप हैं। सहस्रों टापुओं के समह हैं। .." नोट (क)-जिन अन्तरद्वीपों में चांदी, (५) भारतवर्ष के दक्षिण-पूर्व बङ्गाळ की सौना, मोती, मंगा, नीलम, पुखराज, हीरा, खाड़ी में सीलोन ( लङ्का-२६७ मील पन्ना, लाल, आदि अनेक प्रकार के रत्न लम्बा, १४० मील चौड़ा ), अंडमान उत्पन्न होते हैं उन्हें 'रत्नाकर द्वीप, और जो (महा ईस्वी सन् १७८९ से भारत वर्ष किसी देश के तट के अति निकट हो उन्हें | के तीब्र दंडित अपराधी भेजे जाते हैं और 'कुक्षिवास' कहते हैं। जो काले पानी के नाम से भी प्रसिद्ध है), __ नोट (ख)-जम्बद्वीप के भरत क्षेत्र के नि- निकोबार, रामरी, चडूबा, मरगुई आदि कट उसकी दक्षिण दिशा में जो उपसमुद्र(लव- कई टापुओं के समूह हैं। : Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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