Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain
View full book text
________________
Jain Education International
चेतन स्त्री संबन्धी १
अचेतन स्त्री संबन्धी
भष्टादश सहस्र मैथुन भेदों का प्रस्तार ।
अठारहसहस्त्र मैथुनकर्म
जागृतावस्था स्वप्नावस्था मध्य
स्वकृत
कारित | अनुमोदित
.४
मानसिक
वाचनिक
कायिक
For Personal & Private Use Only
वृहत् जैन शब्दार्णव
( २४८ )
स्पर्शनेन्द्रिय | रसनेन्द्रिय
वश
घश
नाणेन्द्रिय | नेनेन्द्रिय कणेन्द्रिय वश | वश । वश
| १४४
चिन्तोत्पा- | दर्शनेच्छोत्पा,दीर्घ निश्या- ज्वरोल्पा-दाहोत्पादक अशनारु- मूछों- | उन्मादो- प्राणसंदेहो मरणोसोत्पादक
च्योत्पादक त्पादक त्पादक त्पादक पादक ० १८० ३६० ७२० । ६०० ।
२०४० १२६० । १४४० । १६२०
विषया
लिंगविकार यन कम
अठारहसहस्र मैथनकर्म
भिलाष
वृज्यादार |संसक्तद्रव्य अंगोपाला-प्रेमीसत्का, शरीरसं- | अतीत अनागत । इष्ट विषय सेवनभैथुन संवनमैथुन बलोकन पुरस्कार कार . स्मरण | भोगाभिए सवन.
| मैथनकर्म | मैशनकर्म | मैथुन कर्म | मैथनकर्म | पनैथुनकमे | मैथनकर्म ३६०० ५४०० | ७२००
। १६२००
मैथन कर्म
कम
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352