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( २३३ ) अठाईकथा वृहत् जैन शब्दार्णव
अठाईपूजा नदियों का जोड़ ८६६०००+३३६००० + | धातकीखण्ड, पुष्करवर, वारुणीवर, क्षीरवर, ८४०००+८४००० = १४००००० (चौदह | घृतवर, इक्षबर और नन्दीश्वर । इनमें से लाख ) है।
केवल अढ़ाईद्वीप तक अर्थात् पुष्करार्द्ध तक (त्रि० ६६७-६६६, ७३१, ७४८ ) | ही मनुष्यों का गमनागमन है, इसलिये इतने मठाई कथा-आगे देखो शब्द'अठाईव्रत- ही क्षेत्र का नाम मनुष्यक्षेत्र है। कथा', पृ० २३९ ॥
(त्रि० ३०४) मठाई पर्व-अष्टान्हिक' पर्व, अधान्हिका
का अठाई पूजा-अष्टान्हिक पूजा,अष्टान्हिक पर्व, आठदिन का पवित्रोत्सव ।
यज्ञ, अष्टान्हिकमह ( ऊपर देखो शब्द | ____ यह आठ दिन कापवित्र काल प्रतिवर्ष
'अठाई पर्व')। तीन बार कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़
यह अवाहिकपजा निम्नलिखित ५ महीनों के अन्तिम आठ आठ दिवश
प्रकार की इज्या (पूजा) में से एक है:अष्टमी से पूर्णिमा तक रहता है। इसी
(१) नित्यमह (२) अष्टान्हिकमह लिये इस पर्व का नाम 'अष्टान्हिक पर्व' अ.
(३)चतुर्मुखमह या महामह या सर्वतोभद्र र्थात् आठ दिनका पर्व है । इन पर्व दिवशों
(४) कल्पद्ममह (५) ऐन्द्रध्वज ॥ में देवगण 'नन्दीश्वर'नामक अष्टम द्वीप में
नोट१-उपरोक्त पांच प्रकारकी पूजा जाकर वहां की चारों दिशाओं में स्थित गृहस्थधर्म सम्बन्धी निम्नलिखित षटकर्मों में ५२ अकृत्रिम चैत्यालयों में देवार्चन करके से एक मुख्य कर्म है :महान् पुण्योपार्जन करते हैं । इसीलिये इस | (१) इज्या अर्थात् पूजा (२) वार्ता पर्व का नाम 'नन्दीश्वरपर्व भी है। इस अ- अर्थात् आजीविका (३) दत्ति अर्थात् दान टम द्वीप में जाने के लिये असमर्थ होने से (४) तप (५) संयम (६) स्वाध्याय । अढ़ाईद्वीप अर्थात् मनुष्य-क्षेत्र के भव्य इनमें से इज्या के उपरोक्त ५ मूल भेद स्त्री पुरुष अपने अपने प्राम नगर या तीर्थ हैं और विशेष भेद अनेक हैं । वार्ता के स्थानादि ही में परोक्ष रूप से मन बचन- | असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प और काय शुद्ध कर बड़ी भक्ति के साथ अष्ट विद्या (शद्रधर्ण के लिये 'विद्या' के स्थान पवित्र स्वच्छ द्रव्यों से फर्म निर्जरार्थ में 'सेवा'), यह छह भेद सामान्य और विशेष नन्दीश्वरद्वीपविधान आदि पूजन करते भेद अनेक हैं। दत्ति के पात्रदत्ति, दद्यादत्ति,
समानदत्ति, और अन्धयत्ति या सकल___ नोट १-नन्दीश्वरद्वीप और उसके | दत्ति, यह ४ मूल भेद और अभयदान, ५२ अकृत्रिम चैत्यालय आदि की सविस्तर | ज्ञानदान, आहारदान, औषधिदान, यह रचना जानने के लिये आगे देखो शब्द 'नन्दी- चार इनके 'मुख्य भेद तथा विशेष भेद श्वरद्वीप' या ग्रन्थ त्रि० गा० ६६६-६७७ | अनेक .हैं । तप के छह बाह्य और १
नोट २-नन्दीश्वरद्वीप तक के आठ अभ्यन्तर, यह १२ सामान्य भेद और विशेष द्वीपों के नाम क्रम से यह हैं :-जम्बूद्वीप, भेद अनेक हैं । संयम के ६ इन्द्रियसंयम और
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