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( २३४ ) अठाईपूजा. वृहत् जैन शब्दार्णव
अठाईपूजा ६ प्राणीसंयम , यह १२ भेद तथा अन्यान्य | १. श्री तत्वार्थसूत्र (मोक्षशास्त्र ) को श्र तसाअपेक्षाओं से अन्यान्य अनेक भेद हैं । गरी टीका की बचनिका, वि० सं० १८३७ स्वाध्याय के वाचन, पृच्छन, अनुप्रेक्षा, आम्नाय, धर्मोपदेश, यह ५ मूलभेद तथा २. सुदृष्टतरङ्गिणी वचनिका, वि० सं० १८३८ विशेष अनेक भेद हैं । ( यह सर्य भेद उपभेद |
और उनका अर्थ, लक्षण, स्वरूप आदि | ३. कथाकोष छन्दोबद्ध । यथास्थान देखें)।
४. बुधप्रकाश छन्दोबद्ध । नोट २--अठाईपूजा या अष्टान्हिका ५. षटपाहुड़ बचनिका टीका पूजा ( नन्दीश्वर पूजा) एक तो संस्कृत | ६. ढालगण छन्दोबद्ध । माकृत मिश्रित आज कल अधिक प्रचलित है | ७. कर्मदहन पूजा।
और एक आपरा निघासी अग्रवाल जातीय ८. सोलहकारण पूजा।। श्रीमान् पं० द्यानतराय जी कृत भाषा पूजा | ९. दशलक्षण पूजा। अधिक प्रसिद्ध है। इन के अतिरिक्त भाषा | १०. रत्नत्रय पूजा। पूजा अन्य भी भद्रपुर निघासी पं० टेकचन्द, | ११. त्रिलोक पूजा। माधवराजपुर निवासी पं० डालूराम, और | १२. पंचपरमेष्ठी पूजा।। पं० विलाल आदि कृत कई एक हैं. तथा | १३. पंचकल्याणक पूजा । एक अठाईपूजा. जैनधर्मभूषण ब्रह्मचारी . नोट ३–अध्यात्म-बारहखड़ी के र
शीतल प्रसाद कृत भी है जो उन्हीं की रचित | चयिता भी एक पण्डित टेकचन्द जी हुए हैं I'सुखसागर भजनावली' नामक पुस्तक में | परन्तु यह दूसरे हैं।
सूरत मगर से प्रकाशित हो चुकी है। इनका | जैनधर्मभूषण श्रीयुत ब्रह्मचारी शीतप्रचार बहुत कम है।
लप्रसाद जी रचित ध अनुवादित अन्य ग्रन्थ - पं.मानत राय का समय विक्रम की
| निम्नलिखित हैं:१६वीं शताब्दी ( १७), पटेकचन्द का (१) जिनेन्द्रमत दर्पण प्रथम भाग (जैनधर्म
और पं० डालूराम का १६वीं शताब्दी (क्रम- का स्वरूप) से १८३८ और १८50) और पं० विलाल (२) जिनेन्द्रमतदर्पण द्वितीय भाग ( तत्व. का समय अज्ञात है। पं० डालराम रचित
- माला) अन्य प्रन्थों की सूची जानने के लिये आगे | (३) जिनेन्द्र मतदर्पण तृतीय भाग (गृहदेखों शब्द 'अढाई द्वीप-पाठ' के नोट १ का न० स्थधर्म) ४ ॥ पं० द्यानतराय जी रचित ग्रन्थ चर्चाः |
| (४) श्रीकुन्दकुन्दाचार्य कृत समयसार की | शतक भाषा छन्दोबद्ध, द्रव्यसंग्रह भाषा हिंदी भाषा टीका छन्दोबद्ध और अनेक पूजा आदि का संग्रह- (५) जैननियमपोथी रूप द्यानतविलास है।
| (६) श्री कुन्दकुन्दाचार्य कृत नियमसार की | ___पं० टेकचन्द रचित व अनुवादित अन्य हिन्दी भाषा टीका प्रन्थ निम्न लिखित
| (७) सुखसागर भजनावली
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