Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

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Page 299
________________ ___ यार्थ ( २३५ ) अठाईपूजा वृहत् जैन शब्दार्णवः अठाईपूजा (८) पं० दौलतराम कृत छहढाला सान्व- | मंगलसेन के सुपुत्र लाला मक्खन लाल जी की धर्मपत्नी के गर्भ से हुआ। वि० सं०१६६६ i(8) आत्मधर्म के मार्गशिर मास में आपने स्थान शोलापुर (१०) श्री सामायिक पाठ का विधि सहित में ऐलक श्री पन्नालाल जी के केशलोच के अर्थ . समय 'ब्रह्मचर्य प्रतिमा के नियम ग्रहण किये (११) अनुभवानन्द | आप को अध्यात्म चर्चा की ओर गाद रुचि (१२) सच्चे सुख का उपाय (१३) द्वीपमालिका विधान (दीवाली पूजन ) नोट ४-उपयुक्त अठाईपूजा पाठों (१४) प्राचीन श्रावक (मानभूम जिले में ) | के अतिरिक्त साँगानेर की गद्दी के, पट्टाधीश (१५) श्री पूज्यपाद स्वामी कृत समाधि श- | श्री देवेन्द्रकीर्ति जी भट्टारक ने वि० सम्वद तक की हिन्दी भाषा टीका | १६६२ के लगभग 'संस्कृत मन्दीवर विधान'! (१६) स्वसमरानन्द (चेतन-कर्म युद्ध) और नन्दीश्वरलघुपूजा रची, श्री कनक(१७) श्री पूज्यपाद स्वामी कृत इष्टोपदेश | कीर्ति भट्टारक ने 'संस्कृत अष्टान्हिका सर्वतो की हिन्दी भाषा टीका भद्र पूजा' रची और श्री सकलकीर्ति भट्टारक ( १८ ) आत्मानन्द का सोपान . | ने 'अष्टान्हिकासर्वतोभद्रकल्प,वि० सं० १५६५ (१६) प्राचीन जैन स्मारक (बंगाल बिहार के उगभग रचा। उड़ीसा के) . इन महानुभावों के रचे अन्य ग्रन्थ (२०) प्राचीन जैन स्मारक ( संयुक्त प्रान्त | निम्न लिखित हैं:. आगरा व अवध के ) (१) श्री देवेन्द्र कीर्ति (वि० सं०१६६२ ) (२१) श्री कुन्दकुन्दाचार्य कृत प्रवचनसार क्षेत्रपाल पूजा विधान ( श्लोक ५७५ ), प्रथम खण्ड की हिन्दी भाषा टीका आदित्य व्रतोद्यापन (श्लोक १५०), बुद्धाष्ट(शानतत्व दीपिका) म्युद्यापन ( श्लोक २२६), पुष्पांजलिविधान (२२) सुलोचना चरित्र ( श्लोक ५०० ), केवलचान्द्रायणोद्यापन (२३) श्री कुन्दकुन्दाचार्य कृत प्रवचनसार | ( श्लोक १३० ), पल्यव्रतोद्यापन, कल्याणमद्वितीय खण्ड की हिन्दी भाषा टीका | न्दिरोद्यापन, विषापहारपूजा विधान, त्रिपंचा(शेयतत्वदीपिका) | शत्कियोद्यापन, सिद्धचक्रपूजा, रैद व्रतकथा, (२०) श्री कुन्दकुन्दाचार्य कृत प्रवचनसार व्रतकथा कोश ॥ तृतीय खंड की । हिन्दी भाषा टीका (२) श्री कनककीर्ति--अष्टान्हिक*(चारित्र तत्वदीपिका). उद्यापन इन ग्रन्थों के अतिरिक्त आप इस समय (३) श्री सकल कीर्ति (वि० सं० साप्ताहिक पत्र जैनमित्र के और पाक्षिक पत्र | १४६५)--सिद्धान्तसार, तत्वार्थसारीपक, 'चोर' के आनरेरी सम्पादक भी हैं । आप का सारबतुर्विशतिका, धर्म प्रश्नोत्तर, मूलाचारजन्म विक्रम सं० १९३५ में लखनऊ नगर में | प्रदीपक, प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, यत्याचार, अग्रवाल वंशीय गोयल गोत्री श्रीमान लाला | सद्भाषितावली, आदिपुराण, उत्तरपुराण, नाम - - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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