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( ८ह )
वृहत् जैन शब्दार्णव
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अङ्कगणना
१२० अङ्क प्रमाण संख्या की गणना बड़ीसुगमतासे की जा सकती है; इत्यादि बीस २ स्थान आगे को बढ़ते हुए सातवें, आठवें, नवें, दशवें आदि उपयुक्त बीस बीस स्थानों से कम से १४०,१६०, १८०, २०० इत्यादि अङ्कप्रमाण संख्या की गणना हो सकती है । इसकी इकाई दहाई निम्न लिखित है:
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एक, दश, शत, सहस्र, दशसहस्र, लक्ष, दशलक्ष, कोटि, दशकोटि, अर्बुद, दशअबुद, खर्व, दशखर्व, नियल, दशनियल, पद्म, दशपद्म, परार्द्ध, दशपरार्द्ध, शतपरार्द्ध शङ्ख, दशशङ्ख, शतशङ्ख, सहस्त्रशङ्ख, दशसहस्रशङ्ख, लक्षशंख, दशलक्षसंख, कोटिशङ्ख, दशकोटिशङ्ख क. अबु दशंख, दशअबु दशंख, खर्व शङ्ख, दश वर्वशङ्ख, मियल शंख, दशनियलशंख. पद्मशङ्ख, दशपद्मशंख, परार्द्ध शङ्ख, दशपरार्द्धशंत्र, शत परार्द्धशंख; महाशङ्ख, दशमहाशङ्ख, शतमहाशङ्ख, सहस्रमहाशङ्ख, दश. सहस्रमहाशंव, लक्षमहाशंख, दशलक्षमहाशङ्ख कोटिमहाशङ्ख, दशकोटिमहाशङ्ख, अर्बुद महाशङ्ख, दशअबु दमहाशङ्ख, खर्व महाशङ्ख, दशवर्षमहाशङ्ख, नियलमहाशङ्ख. दशनियल महाशङ्ख, पद्ममहाशङ्ख, दशपद्ममहाशङ्ख, परार्द्धमहाशङ्ख, दशपरार्द्धमहा शङ्ख. शतपरार्द्ध महाशङ्खः महामहाशङ्ख, दशमहामहाशङ्ख, शतमहामहाशङ्ख, सहस्रमहामहाशङ्ख, दशसहस्रमहामहाशङ्ख, ल
क्षमहामहाशङ्ख, दशलक्षमहामहाशङ्ख, कोटि | ६६०४६६ ( ७६ अङ्क प्रमाण ) है |
महामहाशङ्ख, दशकोटिमहामहाशङ्ख, अबुदमहामहाशङ्ख, दशअबु दमहामहाशङ्ख, खर्वमहामहाशङ्ख, दशखर्वमहामहाशङ्ख, निय लमहामहाशङ्ख, दशनियलमहामहाशङ्ख, पद्ममहामहाशङ्ख, दशपद्ममहामहाशङ्ख, परार्द्धमहामहाशङ्ख, दशपरार्द्धमहामहाशंख, शतपरार्द्ध महामहाशंख; इत्यादि ॥
अङ्कगणना
इसी प्रकार अब महानशंख शब्द लिख कर आगे को इसके पूर्व दश, शत, सहस्र, दशसहस्र, लक्ष, दशलक्ष आदि शतपराद्ध तक के शब्द जोड़ देने से १०० अङ्क प्रमाण इकाई दहाई बन जायगी; फिर इसी प्रकार महामहानशंख शब्द लिखकर आगे को इसके पूर्व भी दश, शत, सहसू आदि शब्द जोड़ देने से १२० अङ्क प्रमाण, और फिर 'महानमहानशंख', 'परमशङ्ख', 'महापरमशङ्ख' आदि उपर्युक्त शब्दों के पूर्व भी वही दश, शत, सहस्रादि शब्द जोड़ते जाने से १४०, १६०, १८०, २००, २२०, इत्यादि अङ्क प्रमाण इकाई दहाई बड़ी सुगमता से लिखी जा सकती है और छोटी बड़ी सर्व प्रकार की संख्याओं या उत्संख्याओंका उवारण इस इकाई दहाई की सहायता से बड़ी सुगम रीति से किया जा सकता है ॥
उदाहरण के लिये निम्न लिखित "श्री ऋषभनिर्वाण सम्वत्" की ७६ अङ्क प्रमाण संख्या को इसी इकाई दहाई द्वारा पढ़ने या उच्चारण करनेकी रीति नीचे लिखी जाती है:
आज आश्विन मास विक्रम सम्वत् १९८१ और वीरनिर्वाण सम्वत् २४६६ में श्री ऋषभ निर्वाण संवत् ४१३४५२६३०३०८ २०३१७७७४६५१२१६१६६६६६६६६६६६६६६ EEEEEEEE६६६६६६६६६६६६६६६६६६६६६
४ पद्म, १३ नियल, ४५ खर्व, २६ अर्बुद, ३० कोटि, ३० लक्ष, ८२ सहस्र और ०३१ 'महामहाशंख'; ७७७ परार्द्ध, ४६पद्म, ५१ नियल, २१ खर्व ६१ अर्बुद, ६६ कोटि, ९९ लक्ष, ९९ सहस्र, और ९९९ 'महाशंख', ९९९ परार्द्ध, ९९ पद्म, ६६ नियल, ९९ खर्च ६६
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