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( ११२ ) अविद्या वृहत् अन शब्दार्णव
अविद्या १० कोडाकोड़ी (१ पद्म )अद्धापल्योपमकाल | नोट १०-कई प्राचीन अन्य मताघका १ अद्धा सागरोपमकाल ।
लम्बी ज्योतिर्विद गणितज्ञों ने एक 'ब्रह्मकल्प' १० कोडाकोड़ी (१ पान ) * व्यवहारसागरो- का जो परिमाण निम्न लिखित रीति से
पमकाल का १ उत्सपिणा काल । बताया है उसके वर्षों की संख्या भी उप१० कोडाकोड़ी(१ पद्म) * व्यवहारसागरोपम युक्त नोट में दी हुई संख्या की समान पूरी
काल का १ अवसर्पिणीकाल । | ७७ अङ्कों ही में है:-- २० कोडाकोड़ी ( २ पद्म ) * व्यवहारसागरो
पदा व्यवहारसागरो ४३२००० वर्ष (सौरवर्ष) का १ कलियुग। पमकाल (या एक उत्सर्पिणी और एक ८६४००० वर्ष ( सौरवर्ष ) का १ द्वापरयुग ।
अवसर्पिणी दोनों) का १ कल्प काल ।। १२६६००० वर्ष ( सौरवर्ष ) का १ त्रेतायुग। २० कोड़ाकोड़ी (२ पन्न) अद्धासागरोग्म १७२८000 वर्ष (सौरवर्ष) का १ सत्ययुग।
काल ( या असंख्यात उत्सर्पिणीअव ४३२०००० वर्ष ( सौरवर्ष) की १ चतुर्युगी। . सर्पिणी) का १ महाकल्प काल । १००० चतुर्युगी का १ सामान्यकल्पकाल । अनन्तानन्त महाकल्पों का भूतकाल। १२ सामान्य कल्पकाल (१२००० चतुर्युगी) एक समय मात्र का वर्तमान काल । ___ का १ देवयुग। . अनन्तानन्त महाकल्पों का भविष्य काल। २००० देवयुग की १ ब्रह्मअहोरात्रि ।
भूत,भविष्यत, वर्तमान, इन तीनों के समूह ३६० ब्रह्मअहोरात्रि का १ ब्रह्मवर्ष । का त्रिकाल = कैवल्यज्ञान ।
४३२०००० ब्रह्मवर्ष की १ ब्रह्मचतुर्युगी। नोट :--उपयुक्त मान से गणना करने २००० ब्रह्मचतुर्युगी की १ विष्णुअहोरात्रि। पर १ उत्सर्पिणी या १ अबसर्पिणी काल में ३६० विष्णअहोरात्रि का १ विष्णवर्ष । वर्षों की संख्या ४१३४५२६३०३०८२०३१७,७७ | ४३२००00 विष्णुवर्ष की १ विष्णुचतुर्युगी। १९५१२१४२०000000000,000000000000 | २००० विष्ण चतुर्युगी की १ शिवअहोरात्रि । 00000000,00000000000000000000(२७ ३६० शिवअहोरात्रि का १ शिववर्ष । अङ्क और ५० शन्य, सर्व ७७ अङ्क प्रमाण) है॥ ४३२०००० शिववर्ष की १ शिवचतुर्युगी। ____अतः एक कल्प काल के वर्षों की संख्या २००० शिवचतुर्युगी की १ परमप्रलअहोरात्रि इस से दूनी अर्थात् ८२६६०५२६०६१६४० | ३६० परमब्रह्मअहोरात्रि का १ परमब्रह्मवर्ष । ६३५,५४६६०२४३८४००00000000,000000 ४३२०००० परमब्रह्मवर्ष की १ परमब्रह्मचतु00000000000000, 0000000000000000. युगी। 0000 ( २७ अङ्क और ५० शून्य, सर्व ७७ १००० परमब्रह्मचतुर्युगी का १ महाकल्प । अङ्कप्रमाण ) है ॥
१००० महाकल्प का १ महानकल्प । * कई आचार्यों की सम्मति में अद्धा १००००० महानकल्प का १ परमकल्प । सागरों से उत्सर्पिगी, अबसर्पिणी और कल्प १००००० परमकल्प का १ ब्रह्मकल्प। काल की गणना महाकल्प की गणना की उपयुक्त परिमाण के अनुकूल गणित समान है । (देखो इसी शब्द के नोट ६ में फैलाने पर १ "ब्रह्मकल्प" के वर्षों की संख्या शब्द 'पल्य' की व्याख्या)
। ४८५२१०२४६०४४१३३५७०१५०४०००००००००
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