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अंजना
५. इस नरक के 'आरा' नामक प्रथम इन्द्रकबिल की पूर्वादि चार दिशाओं में जो ६४ श्र ेणीबद्ध बिल हैं उन में से पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशाओं के पहिले पहिले बिलों के नाम क्रम से निसृष्टा, निरोधा, अनिसृष्टा (अति निसृष्टा ) और महानिरोधा हैं ॥
१२६१६६६
( २१७ )
जैन शब्दार्णव
६. इस नरक के प्रत्येक बिल में अति उष्णता, दुर्गन्धता, और महा अन्धकार है ।
७. इस नरक के सबसे ऊपर के प्रथम पटल के 'आरा' नामक प्रथम इन्द्रकबिल का विस्तार १४७५००० महायोजन है । दूसरे पटल के 'मारा' नामक इन्द्रकबिल का विस्तार १३८३३३३१ महायोजन, तीसरे का
वृहत्
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का, ११०८३३३ १, छठे का १०१६६६६ २,
३ ३ और सर्व से नीचे के सातवें का स२५००० महायोजन है । ७०० श्र ेणीबद्ध बिलों में से प्रत्येक का विस्तार : असंख्यात महायोजन और शेष ६६६२६३ प्रकीर्णक बिलों में से ७६६३०० का असंख्यात असंख्यात महायोजन और १९९९९३ का संख्यात संख्यात महायोजन है |
१०. इस नरक के सबसे ऊपर के 'आरा' नामक प्रथम पटल की भूमि की मट्टी जिसे वहां के नारकी जीव अति क्षुधातुर हो कर भक्षण करते हैं इतनी दुर्गन्धित है कि यदि उस मृतिका का कुछ भाग यहाँ मनुष्य लोक में आपड़े तो १७ कोश तकके प्राणी चौये का १२०००००, पांचवें उसकी अति दुर्गन्धिता से मृत्यु को प्राप्त हो जावैं, और इसी प्रकार वहां के द्वितीयादि पटलों की मृत्तिका से क्रम से १७, १८, १= ॥ १९, १२॥, और २० कोश तक के प्राणी मृत्यु के मुख में चले जाय ।
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११. इस नरक के प्रथमादि सातों पटलों में जघन्य आयु क्रम से एक एक समय ३ ६ २ कम ७, ७ ७
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७ ૭ ७
८. इस नरक के प्रत्येक इन्द्रकबिल की पृथ्वी की मुटाई २ क्रोश, प्रत्येक श्र ेणीबद्ध
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बिल को ५ क्रोश है ॥
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बिल की ३-क्रोश और प्रत्येक प्रकीर्षक
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६. इस नरक के बिलों की छत में नारकियों के उत्पन्न होने के उप्पाद स्थान गो
अंजना
मुख, गजमुख, अश्वमुख, भत्त्रा (फुंकनी या मशक), नाव, कमलपुट आदि जैसे आकार के एक एक योजन व्यास या चौड़ाई के और पांच पांच योजन ऊंचे हैं। नारकी वहां जम्म लेते ही उप्पाद स्थान से नीचे गिर कर और पृथ्वी पर चोट खाकर गेंद की समान पहली बार ६२॥| योजन ऊँचे उछलते हैं, फिर कई बार गिर गिर कर कुछ कम कम ॐ ऊँ बे उछलते हैं ॥
५ १ ८ -, ६ -, ६ ७
७
सागरोपम काल प्रमाण और उत्कृष्ट आयु
६ २.
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८- १ ह ७
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૭ ७
१० लागरोपम काल प्रमाण है, अर्थात् पटल पटल प्रति आयु सागरोपम काल बढ़ती जाती है।
७
१२. इस नरक के नारकियों के शरीर की ऊँचाई प्रथमादि सातों पटलों में क्रम से ३५ धनुष २ हाथ २०४ अंगुल, ४० धनुष 39
क्रम से ७
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