________________
( १७८ ) वृहत् जैन शब्दार्णव ।
-
-
-
अजित
अजिता
क्रम संख्या
बोल
विवरण
iii
समय
सायंकाल (अपरान्ह, तिथि १०) नक्षत्र
रोहिणी ४. घेराग्य का कारण उल्कापात अवलोकन ५. शिबिका (पालकी) का नाम सुप्रभा ६. दीक्षा धन
सहेतुक अर्थात् सहस्रान ( अयोध्याके निकट) ७. दीक्षा वृक्ष
विषमच्छद अर्थात् सप्तछद या सप्तपर्ण या
सतौना ८. साथ दीक्षा लेने वाले अन्य राजाओं की संख्या
१००० ६. दीक्षा समय उपवास षष्ठोपवास (बेला या द्वला अर्थात् दो दिन
का उपवास) १०. दीक्षा से कौनसे दिन पारणा चौथे दिन ११. पारणे की तिथि माघ शु० १२ १२. पारणे का आहार
गोदुग्ध पाक १३. पारणे का स्थान अरिष्टपुरी ( अयोध्या या धिनीता) • १४. पारणा कराने वाले का नाम | ब्रह्मदत्त (ब्रह्मभूत ) १५. तपश्चरणकाल (छमस्थकाल) १५ वर्ष ११ मास, १ दिन केवलज्ञान ২. বিথি
पौष शु० १२ २. समय
अपरान्ह काल ३. नक्षत्र
रोहिणी ४. स्थान
अयोध्या के निकट ५. उपवास जिस के अनन्तर | षष्टोपवास (बेला)
कंवलज्ञान प्राप्त हुआ। समवशरण १. परिमाण
११॥ योजन व्यास का गोलाकार २. गणसंख्या . ६०
।
-
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org