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( २०५ )
अजीव विभक्ति
अजीवाधिकरण आस्त्रव
भेद निम्न लिखित हैं:
वैदारणिका क्रिया का एक भेद (अ. मा. (१) अपाय विचय (२) उपाय घिचय _ 'अजीव-धेयारणिया')॥ । (३) जीव विचय (४) अजीव विचय (५). | अजीब-सामन्तोपनिपातिकी-अपनी विपाक विचय (६) विराग विचय (७) भव
बस्तु की प्रशंसा सुन कर प्रसन्न होने से विचय (८) संस्थान विचय (8) आशा विचय
होने वाला कर्मबन्ध; सामन्तोपनिपातिकी (१०) हेतुविचय । ( प्रत्येक का स्वरूपादि
क्रिया का एक भेद ( अ. मा. 'अजीययथास्थान देखें)॥
सामन्तोषणिवाइया' ) ॥ . (हरि० सर्ग ५६ श्लोक ३५-५२)।
नोट२-धर्म ध्यान के उपरोक्त १०. ४ाष्टका ( अजाय पृष्टिका )भेदों का अन्तर्भाव (१) आशा विचय (२) ।
किसी अजीध पदार्थ को रागद्वषरूप अपाय विचय (३) विणक विषय और (४) भावोंसे स्पर्श करने से होने वाला कर्मबंध; संस्थान विचय, इन चारों भेदों में हो सकता | स्पृष्टिका क्रिया का एक भेद ( अ. मा. है । अतः किसी किसी आचार्य ने धर्मव्यान | 'अजीवाठिया' )॥ के यही चार भेद गिनाये हैं ॥
अग्रीव-स्वाहस्तिका--खड्ग आदि नोट ३-धर्मध्यानके उपयुक्त २० भेदों| किसी अजीव पदार्थ द्वारा किसी अजीव में से अष्टम भेद, या चार भेदों में से अन्तिम | को अपने हाथ से मारने से होने वाला " संस्थान-विचय धर्मध्यान" के (१) पिंडस्व | कर्मयन्ध, स्वाहस्तिका क्रिया का एक (२) पदस्थ (३) रूपस्थ और (४) रूपात त, | | भेद (अ. मा. 'अजीयसाहत्थिया' )॥ यह चार भेद हैं । ( प्रत्येक का स्वरूपादि | अजीवाधिकरणासव-किसी अजीय यथास्थान देखें)॥
पदार्थ के आधार से होने वाला कर्मानव (ज्ञानार्णव प्रकरण १३ श्लो०५, प्र०३७ श्लो०१)
(शुभकर्मास्नव या अशुभ-कर्मास्रव, पुप्याअजीव विभक्ति-अजीव पदार्थों का स्रव या पापासूब )॥ प्रथक्करण या विभाग ( अ. मा. अजीब
- काय, बचन, मन की किया द्वारा विभत्ति )॥
आत्म प्रदेशों के सकम्प होने से द्रव्य कर्म अजीववैक्रयणिका ? न.चे देशो शब्द
(कर्म प्रकृति या कार्मणवर्गणा) का आत्मा
के सन्निकट आना या आत्मा की ओर अजीववैवारणिका “ अजीववैद... को सन्निकर्ष होना 'आय' कहलाता है। अजीववैतारणिका । णिका" ॥
___ आधार अपेक्षा आस्रष दो प्रकार का
है-(१) 'जीवाधिकरण आनव' और (२) अजीववैदारणिका ( अजीव-धैक्रय- 'अजीपाधिकरण आनध' । जीवाधिकरण णिका, अजीव वैचारणिका, अजीव-वैतार- हिंसा और अजीवाधिकरण हिंसा के समान णिका)किसी अजीव वस्तु का विदारण जीबाधिकरण आस्रव के भी वही १०८ करने या उसके निमित्त से किसी को ठगने | या ४३२ भेद और अजीवाधिकरण आस्रव से होने वाला कर्मबन्ध; विदारणिया या| के सामान्य ४, और विशेष ११ भेद हैं।
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