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अक्षर
वृहत् जैन शब्दार्णव
roneमारणात
मूलअक्षर
| मूलाक्षरों से बने हुए सर्व असं| योगी और संयोगी रूप या भंग
मूलाक्षर संख्या
असंयोगो अक्षरों की संख्या . द्विसंयोगीअक्षरों की संख्या . त्रिसंयोगी अक्षरों की संख्या
चतुःसंयोगोअक्षरों की सं०
पंच संयोगी अक्षरों की सं० » ! सर्व अक्षरों का जोड़ . .
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२ | क्. स्व.
क् , खू, कर.
२ | १
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३ | क्. स्त्र, ग. | क्, ख, ग,
ख,
ग, खग, | ३ | ३ | १ | ०
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खग.
४ | क, ख, ग,
क, ख. ग, घ ,
ख, ग, धु, | ४ | ६
४
१
०
१५
| खग, ख्घ , ग्धू , कम्वग् कवघ् ,
कगघ, खगघ, कखगघ.
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| क्
ख, ग घ, ङ, कम्व, ग, घ,
५ | १० | १० | ५ | ? | ३.!
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| कङ, खग, खु, ख, ग, गङ्
ध्व
२० कग,
ग्, घ, ङ्क्ग् , २१ २२ २३ घ, खगघ, खगङ,
खघङ, गघङ, कखगघ, कखगङ,
२८ कखघङ, कगघङ, खगघङ,
३१ कखगघङ ॥
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