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आमुख
सैंतालीस जन्मधारण करने वाले व्यक्ति जब शासन के पदाधिकारी बन जाते हैं, तब वे मांसाहार, मत्स्याहार आदि को उचित बताने वाले भाषण देते है। ये बन्दर बेचते हैं, मछली बेचते हैं
और न जाने क्या-क्या बेचकर राष्ट्रकोष भरने की सोचते हैं तथा विलासिता की सामग्रो बढ़ाकर देश को पश्चिमी सभ्यता के आदर्श के अनुसार समुन्नत देखना चाहते हैं।
ये गणतंत्र शासन के वाहक जिनको पिता, बापू कह कर देशवासियों के समक्ष अपने को गांधीभक्त सूचित करते हैं, उन गांधीजी के ही उपदेश पर यदि दृष्टि दें, जो उन्होंने सन् १६४६ में अमेरिकावासियों को दिया था, तो इनकी श्यामवृत्तियों में शुभ्रता का पदार्पण हो सकता है, “मेरा ख्याल है कि अमेरिका का भविष्य उज्ज्वल है। वह धन को उसके सिंहासन से हटाकर ईश्वर के लिए थोड़ी जगह खाली करे। लेकिन अगर वह धन की ही पूजा करता रहा, तो उसका भविष्य अन्धकारमय है, फिर लोग चाहे जो कहें। धन आखिर तक किसी का सगा नहीं रहा। वह हमेशा बेवफा (बेईमान) दोस्त साबित हुआ है।” (२१-१०-१९६० नई दिल्ली प्रेस्टन ग्रोवर के साथ बातचीत में)। भारत देश ने त्याग तथा त्यागी की पूजा की है। यदि उसका मार्गदर्शन करने वालों ने अपना रवैया न बदला, तो या तो वे देश को विनाश की स्थिति में पहुंचा देंगे अथवा जनता को अधर्म की ओर ले जाने वालों का साथ छोड़ना पड़ेगा।
मनुष्य जीवन अल्पकाल स्थायी है। शीघ्र ही सावधानीपूर्ण प्रवृत्ति का आश्रय करना श्रेयस्कर है। स्वामी विवेकानन्द उपनिषद् का यह वाक्य अपने श्रोताओं को सुनाया करते थे-"त्यागेन अमृतत्वं आनशुः"त्याग के द्वारा अमृतत्व (Immortality) की प्राप्ति होतो
१. नागपुर दैनिक "नवभारत" २ अक्टूबर, १९५३ के नवभारत में कांग्रेसी सरकार की सूचना छपी थी,
"बन्दर मारो, इनामलो। प्रत्येक बन्दर मारने पर ५/- तथा ५ से अधिक बन्दर मारने पर १/- की दर से पुरस्कार दिया जावेगा। जो व्यक्ति ५ से कम बन्दर मारेगा, उसे कोई पुरस्कार नहीं दिया जायगा।"
सन १६५५ के ६ फरवरी के"हितवाद" मेंलन्दनकासमाचार छपाथा किभारत की हाईकमिश्नर श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित से दयाप्रेमी अंग्रेजों का शिष्टमण्डल मिला था। उसने निवेदन किया था किलन्दन केबन्दरगाह परसे दो वर्षों में एक लाख बन्दर अमेरिका भेजे गयेथे, "Thedeputation pointed out that in last two years hundred thousand monkeys have passed through London airport for the United States." दयाप्रेमी शिष्टमंडल ने बन्दरों को न भेजे जाने की प्रार्थना की थी। उन बन्दरों का नाश वैज्ञानिक कार्यों में किया जाता था।
बम्बई के मुख्य मंत्री ब्राह्मण जातीय स्व. खेर ने मछली के मांस की स्तुति करते हुए उसेखाने को प्रेरणा की थी। आरम्भ में धार्मिक परिवार में जन्म धारण करने वाले बंबई गवर्नर ने अण्डा खाने का उपदेश दिया था। मांसाहार का महत्व बताने का प्रचारकार्यभारत शासन का खाद्य विभाग करता हो है। स्वतंत्र भारत में भयंकर रूप से जीव-वध शासन के कारण बढ़ता जारहा है, यह महान् दुःख की बात है। दया-प्रचार का जोरदार प्रयत्न राष्ट्रहितार्थ आवश्यक है, अन्यथा हिंसा, पतन का हेतु बनेगी। For Private & Personal Use Only
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