Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________ - - 236 भगवतीसत्रे प्रतिसेवनाकुशीलानां संग्रहो भवति तथा च प्रतिसेवनाकुशीलानां कषायकुशीलानां चान्तरं न भवतीति भावः / 'णियंठा णं पुच्छा' निर्ग्रन्थानां खलु भदन्त ! कियकालान्तरं भवतीति पृच्छा-प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहन्नेणं एक समयं' जघन्थेन एक समयमन्तरं भवति 'उक्कोसेणं छम्मासा' उत्कर्षेण षण्मासान्-उत्कर्षतः षण्मासपर्यन्तमन्तरं भवतीति / 'सिणायाणं जहा बउसाणं' स्नातकानां यथा बकुशानां नास्ति अन्तरं तथैव अन्तराभावो ज्ञातव्य इति 30 / एकत्रिंशत्तमं समुदघातद्वारमाह-'पुलागस्स णं भंते ! कर समुग्घाया पन्नत्ता' पुळाकस्य खलु भदन्त ! कति समुद्घाता पज्ञप्ताः ? इति भगवानाहकसायकुसीलाण' इसी प्रकार से प्रतिसेवनाकुशील और कषायकुशील इनमें भी अन्तर नहीं होता है ! . णियंठाणं पुच्छा' हे भदन्त ! निग्रंथों में कितने काल का अन्तर होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा! जहन्ने एक्कं समयं, लक्कोलेणं छम्मासा' हे गौतम ! निर्ग्रन्थों का अन्तर जघन्य से एक समय का और उत्कृष्ट से छह मास तक को होता है। 'सिणायाणं जहा व उसाणं' हे भदन्त ! स्नातकों का अन्तर कितने काल का होता है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं कि हे गौतम! स्नातकों का अन्तर कथन बकुशा के अन्तर कथन जैसा है। अथात् स्नातकों में अन्तर-व्यवधान के कारणों के अभाव से अन्तर नहीं होता है। अन्तरद्वार का कथन समाप्त / 31 वें समुदघात द्वार का कथन 'पुलामस्स गं भंते ! कह समुग्घाया पन्नत्ता' हे भदन्त ! पुलाक के આજ પ્રમાણે પ્રતિસેવના કુશીલ અને કષાયકુશીલમાં પણ અંતર હેતું નથી. 'णिय ठाण पुच्छा' है सावन् निन्यामा 48 जनु भतर डाय छे ? मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री 4 छे है-'गोयमा! जहण्णेणं एक समय उक्कोसेणं छम्मासा' गौतम ! निन्यानु मत२ धन्यथी से समयनु भने उत्कृष्टथी छ भास सुधार्नु हाय छे. 'सिणायाणं जहा बसाणं' 31. વન સ્નાતકોનું અંતર કેટલા કાળનું હોય છે? આના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે-હે ગૌતમ ! સ્નાતકોનું અંતર કથન પુલાકના અંતર કથન પ્રમાણેનું છે. અર્થાત સ્નાતકમાં વ્યવધાનના કારણેના અભાવથી અંતર હોતું નથી. એ રીતે આ અંતરદ્વાર કહ્યું છે. અંતરદ્વાર સમાપ્ત. હવે 31 માં સમુદ્રઘાત દ્વારનું કથન કરવામાં આવે છે. 'पुलागस्स गं भंते ! कइ समुग्घाया पन्नत्ता' सन् सामने डेटा શ્રી ભગવતી સૂત્ર : 16