Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 590
________________ ५७६ भगवतीसूत्रे चडते अनागावते' एवं केवलीनदेव नोसंज्ञोपयुक्तः, अवेदकः, अकषायी, साकारोपयुक्त, अनाकारोपयुक्तः, 'एएस तइयविहूणा' एतेषु नो संज्ञोपयुक्तादारभ्य अनाकारोपयुक्तेषु तृतीयभङ्गविहीनाः प्रथमद्वितीयचतुर्थभङ्गा भवन्ति । 'अजोगिंमि य चरिमो' अयोगिनि च चरमो भङ्गः अवधनात् न बध्नाति न मन्त्स्यति इत्याकारको ज्ञातव्यः | 'सेसेसु पढपवितिया' शेषेषु अयोगिव्यतिरितेषु प्रथमद्वितीयमङ्गौ ज्ञातथ्यौ इति । 'नेरइयाणं भंते । वेयणिज्जं कम्मं कि बंधी बंब' नैरयिकः खलु भदन्त ! वेदनीयं कर्म किम् अवघ्नात् बध्नाति भन्त्स्यति १, अबध्वात् बध्नाति न भन्त्स्यति२, अवधनात् न बध्नाति भन्त्स्यति३ वह अयोगी होता है तो उसके वेदनीय कर्म का बन्ध नही होता । 'एवं नो सन्नो उत्ते अवेदए अकसाई, सांगरोवते अनागारोव उत्ते' इसी प्रकार से नो संज्ञा में उपयुक्त वेदरहित कषाय रहित साकारोपयुक्त और अनाकारोवयुक्त जीवों के 'तहय बिहूगा' तृतीय भंग रहित प्रथम द्वितीय और चतुर्थ ऐसे तीन भंग होते हैं ' अजोगिम्मि य चरिमो' अयोगी में अन्तिम भंग होता है। 'सेसेलु पढमवितिया' शेष जीवों में -अयोगिव्यतिरिक्त जीवों में प्रथम द्वितीय भंग होते हैं। 'नेरहयाणं भंते! वैयणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्त' हे भदन्त नैरथिक जीवने क्पा पहिले भूतकाल में वेदनीय कर्म का बन्ध किया है ? वर्तमान में वह करता है? भविष्यत् काल में वह बन्ध करेग!? अथवा - भूतकाल में उसने बन्धकिया है वर्तमान में वह बन्ध करता है? भविष्यत् में वह बन्ध नहीं - ભંગ હાતા નથી. કેમકે તે અવસ્થામાં જ્યારે તે અયેગી હાય છે. તે તેને વેદનીય ક્રમના અંધ હાતા નથી. 'एव' नोसन्नोवउत्ते, अवेदए अकस्साई सागारोवउत्ते, अणागारोव उत्ते' એજ પ્રમાણે સાકારાપચેગવાળા અને અનાકાર પચેગવાળા જીવાને એટલે કે ने नासंज्ञोपयुक्त होय, वेरडित, उषायरहित, होय तेवा कवीने 'तइय विहूणा' त्री लंगने छोडीने पडेसेो, जीले भने थोथो मे त्र लगी होय छे. 'अजोगिम्मिय चरिमो' अयोगी लवमां छेलो लंग ४ होय छे. 'सेसेसु पढमबितिया' माहीना लवाने भेटते हैं अयोगी शिवायना कवीने पहले। અને બીજો એ એ ભગા હૈાય છે. 'रयाणं भंते! वेयणिज्जं कम्म किं बंधी, बंधइ बंधिस्सइ' डे लगवन् નૈચિક જીવે ભૂતકાળમાં વેદનીય કર્મોના બંધ કર્યાં છે? વતૅમાન કાળમાં તે વેદનીય ક્રમના અંધ કરે છે અને ભવિષ્ય કાળમાં તે તેના બંધ કરશે ? અથવા ભૂતકાળમાં તેણે વેદનીય કમના બંધ કર્યો છે? વમાન કાળમાં શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬

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