Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 644
________________ ६३० भगवतीसूत्रे भन्स्यति, कश्चिदेकः परम्परोपपन्ननारकः पापं कर्म अतीतकालेऽबध्नात् , वर्तमानकाले वनाति, भविष्यकाले न भन्त्स्यतीत्याकारको प्रथम द्वितीयभङ्गावेव भवत इति । 'एवं जहेब पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नएहि वि उद्देसओ भाणियब्वो' एवं यथैव येनैव प्रकारेण प्रथमोद्देशको जीवनारकादि विषयका तथैव तेनैव रूपेण परम्परोपपत्रकनारकैरपि सापलक्षितो तृतीयोद्देशको वक्तव्यः। केवलं प्रथमोद्देशके जीवनारकादीनि पश्चविंशतिः पदानि कथितानि अत्र तु तृतीये उद्देशके नारकादीनि चतुर्विशतिरेव पदानि वक्तव्यानीत्याशयेनाह-'नेरझ्याओ' इत्यादि, 'नेरइयाइयो तहेव नवदंडगसहिओ' नैरयिकादिक न तु जीवादिका तथा-प्रथमोद्देशकवदेव नवदण्डकसहितः, पापकर्मज्ञानावरणीयादि सम्बद्धा ये नव दण्डका पूर्व प्रतिपादितास्तैः सहितोयुक्तोऽत्र वक्तव्य इति । 'अट्टण्ह वि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मस्स बत्तव्यया' अष्टानामपि कर्मप्रकृ. भूतकाल में पापकर्म का धन्ध किया गया होता है, वर्तमान में भी वह उसका बन्ध करता है पर भविष्यत् काल में वह उसका बन्ध नहीं करता है । इस प्रकार से यहां ये दो भंग होते हैं । 'एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नए हि वि उद्देसो भाणियव्यो' जिस प्रकार से जीव नारकादि विषयक प्रथम उद्देशक कहा गया है उसी प्रकार से परम्परोपपन्नक नारकों आदि कों से समुपलक्षित यह तृतीय उद्देशक भी कहना चाहिये, केवल प्रथम उद्देशक में जीव नारक आदि पचीस पद कहे गये हैं पर यहा तृतीय उद्देशक में नारक आदि चोईस २४ ही पद कहने योग्य बतलाये गये हैं ! यही बात 'नेरइयाओ तहेव नव दंडगसहिओ' इस सूत्रद्वारा प्रकट की गई है। 'अg वि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मरस वत्तव्यया' आठ પાનક નૈરયિક એ હોય છે કે-જેના દ્વારા ભૂતકાળમાં પાપકર્મને બંધ કરાય છે. વર્તમાનમાં તે તેને બંધ કરે છે, પરંતુ ભવિષ્ય કાળમાં તે તેને બંધ કરતા નથી. આ રીતના અહિયાં આ બે જ અંગે હાય છે. एवं जहेव पढमोउद्देसओ तहेव पर परोववन्नए हि वि उद्देसओ भाणिय. કરો જે પ્રમાણે નારકાદિ સંબંધી પહેલે ઉદ્દેશે કહે છે, એ જ પ્રમાણે પરમ્પરે પનિક નારકેથી સમુપલક્ષિત આ ત્રીજે ઉદ્દેશ પણ કહે જોઈએ કેવળ પહેલા ઉદ્દેશામાં જીવ, નારક વિગેરે ૨૫ પચ્ચીસ પદે કહ્ય છે, પરંતુ અહિયાં આ ત્રીજા ઉદ્દેશામાં નારક વિગેરે ૨૪ ચોવીસ પદે જ अलवा योग्य हा छ. या वात 'नेरइयाओं तहे। नवदडगनहिओ' । सूत्र बारा पट छे. 'अट्टण्ह वि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मरस શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬

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