Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.१ सू०३ ज्ञानावरणीयकर्माश्रित्य बन्धस्वरूपम् ५८७ बध्नात्यवन्धकाले, चतुर्थे न बध्नाति अबन्धकाले, न भन्स्यति चरमशरीरमाताविति । 'सम्मामिच्छादिही पुच्छा' सम्यग्मिथ्याष्टिः पृच्छा हे भदन्त ! सम्य. मिथ्यादृष्टि जीवः आयुष्कं कर्म किम् अवध्नात् बध्नाति भन्स्यति १, अबध्नात् बध्नाति न भन्स्यतिर, अबध्नात् न बध्नाति भन्स्यति३, अबध्नात न बध्नाति हैं-द्वितीय भंग में जो 'न भन्स्पति' ऐसा कहा है वह चरमशरीर की प्राप्ति की अपेक्षा से कहा हैं तृतीय भंग में जो 'न बध्नाति' ऐसा कहा है वह अपन्धकाल में नहीं बांधने की अपेक्षा से कहा है, चतुर्थ में 'न बध्नाति न भन्स्थति' ऐप्ता जो कहा गया है वह अबन्धकाल में उसे नहीं बांधता है तथा चरमशरीर की प्राप्ति में आगे वह उसे नहीं बांधेगा इस अपेक्षा से कहा गया है। ___'सम्मामिच्छादिट्ठी पुच्छा' हे भदन्त ! जो जीव सम्यग्मिथ्या. दृष्टि होता है-सो क्या उसने भूतकाल में आयु कर्म का बन्ध किया गया होता है ? वर्तमान में भी वह क्या आयुकर्म का बन्ध करता है? और भविष्यत् काल में भी क्या वह आयुकर्म का बंध करेगा? अयवा-उसने पूर्वकाल में आयुकर्म का बन्ध किया है ? वर्तमान में वह उसका बन्ध करता है? भविष्यत् में वह उसका बंध नहीं करेगा? अथवा-पूर्वकाल में उसका उसने बन्ध किया है ? वर्तमान में वह उसका बन्ध नहीं करता है ? भविष्यत् काल में वह उसका वध करेगा? अथवा-भूतकाल में ही वह उसका बंध कर चुका है, वर्तमान में वह सोय छे. oilat Twi 'न भन्स्यति' से प्रभाये युछे, ते २२भ
शनी पाति थ य ते अवस्थामा छे. त्री मा 'न बध्नाति' એ પ્રમાણે કહેલ છે, તે અબધૂ કાળમાં આયુકર્મ ન બાંધવાની અપેક્ષાથી za छे. या Anwi 'न बध्नाति' न भन्स्यति' के प्रमाणे २४ छ, તે અન્ય કાળમાં તેને બંધ ભવિષ્યમાં નહીં કરે તે અપેક્ષાથી કહેલ છે.
"सम्माभिच्छादिवो पुच्छा' 8 लगवान २७१ सभ्यभिच्या डाय છે, તે તેણે પૂર્વકાળમાં આયુષ્ય કમને બંધ કર્યો હોય છે? વર્તમાનમાં તે આયુષ્ય કર્મને બંધ કરે છે ? તથા ભવિષ્યમાં પણ તે આયુષ્ય કમને બંધ કરશે ? અથવા તેણે ભૂતકાળમાં આયુ કર્મને બંધ કર્યો છે? વર્તમાનમાં તે તેને બંધ કરે છે? ભવિષ્ય કાળમાં તે તેને બંધ નહીં કરે? અથવા પૂર્વ કાળમાં તેણે આયુકર્મને બંધ કર્યો છે? વર્તમાનમાં તે તેને બંધ નથી કરતા? ભવિષ્ય કાળમાં તે તેને બંધ કરશે ? અથવા ભૂતકાળમાં જ તે તેને
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬