Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________
भगवतीसूत्रे दित्यर्थः । अनिहारिमं तत् यत्र मृतशरीरं बहिर्न नीयते गिरिकन्दरादौ गत्वा संस्तारककरणमिति । 'नियमं आडिकमे' तत्र पादपोपगमनम् अनशनम् नियमात् अमतिकर्म सेवादि पतिकमरहितं भवति । 'से तं पाओवगमणे' तदेतत् पादपोपगमनं नामानश नमिति । ‘से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे' अथ किं तत् भक्तप्रत्याख्यानम् उत्तरमाह-'भत्तपचक्खाणे दुविहे पन्नत्ते' भक्तपत्याख्याननामकं यावत्कयिकमनशनं द्विविधं प्रज्ञप्तम् 'तं जहा' तद्यथा-'नीहारिमे य अणीहारिमे य' निरिमंचानिहारिमं च 'नियमं सपडिकम्मे' नियमात् सपतिकर्म सेवादिप्रति. कर्म सहितं नियमादेव भवति । 'से तं भत्तपच्चक्खाणे' तदेतत् भक्तप्रत्याख्यानम् 'सेतं आवकहिए' तदेतद् यावत्कथिकम्, 'सेत्तं अणसणे' तदेतत् अनशननामक बाहर निकाला जाता है और जिसमें मृतकशरीर उपाश्रय से बाहर नहीं निकाला जाता है वह अनिभरिम है। यह गिरिकन्दरा आदि में जाकर के किया जाता है 'नियमं अपडिक्कम्मे' यह पादपोपगमन अनशन नियम से सेवादि प्रतिकर्म से रहित होता है से तं पाओवगमणे' इस प्रकार यह पादपोपगमन अनशन है । 'से किं तं भत्तपच्चक्खाणे' हे भदन्त ! भक्तप्रत्याख्यान अनशन कितने प्रकार का है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते' हे गौतम ! भक्तप्रत्याख्यान अनशन दो प्रकार का है। 'तं जहा' जैसे'नीहारिमेय अनीहारिमेय' निर्दारिम और अनिहारिम 'नियमं सपडि. कम्मे' यह भक्तप्रत्याख्यान नियम से सेवादि प्रतिकर्भ वाला होता है। 'से तं भत्तपच्चक्खाणे' इस प्रकार से यह भक्त प्रत्याख्यान तप है। 'सेत्तं आवकहिए, सेत्तं अणसणे' यहां तक अनशन तप का द्वितीय આવતું નથી તેને અનિહરિમ તપ કહેવાય છે. આ અનિહરિમ પાદપિગમન १५ पतनी ११ विगेरेमा धन ४२पामा मावे छे. 'नियमं अपडिक्कम्मे' આ પાદપપગમન અનશન નિયમથી સેવા વિગેરે પ્રતિક્રિયા વિનાનું હોય छ. 'से त्त पाओवगमणे' मा शत म पाहायशमन उस छे. 'से कित्त भत्तपच्चक्खाणे'
मत प्रत्याभ्यान मनशन टा२ना उस छ ? ॥ प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री ४ छ -'भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते' उ गौतम ! मतप्रत्याभ्यान मनशन में प्रार्नु छे. 'त जहा' ते माप्रमाणे छ.-'नीहारिमे य अनीहारिमे य' निरिभ भने मनिहारिम 'नियम सपडिकमे' मा मतप्रत्याज्यान नियमथी सेवा विगेरे प्रतिभामु य छे. सेन भत्तपच्चक्खाणे' शत मा मतप्रत्ययान त५४९ छे. 'से तं आवकहिए से तं अणसणे' मी सुधी अनशन तपन मीन र २
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧