Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.१ सू०१ बन्धस्वरूपनिरूपणम् ५३१ बध्नाति न भन्स्यति २, अबध्नात् न बध्नाति भन्स्यति ३, अबध्नाम् बध्नाति न मन्त्स्यति इत्येवं क्रमेण चतुर्भङ्गका प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'अत्थेगइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ' अस्त्येकाः कश्चित् कृष्णलेश्यो जीवः पूर्वकाले पाप कर्म बद्धवान्, वर्तमानकाले बध्नाति पाप कर्म, तथा अनागतकालेऽपि भन्स्यति पापकर्मणो बन्धं करिष्यतीत्येवं क्रमेण प्रथमो मङ्गः १, 'अत्थेगइए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ' अस्त्येककः कश्चित् कृष्णलेश्यो जीवः पापं कर्मातीतकालेऽबध्नात् तथा वर्तमानकाले बध्नाति पापं कर्म न भन्स्यति, अनागतकाले पापकर्मणो बन्धनं न करिष्यति, इत्येवं क्रमेण द्वितीयो भङ्गः २। कृष्णलेश्यादि पञ्चकयुक्तस्य जीवस्य तु आद्यमेव भङ्गद्वयम् तस्य वर्तमानकालिको अथवा वह भूतकाल में पापकर्म का बन्धक हुआ है ? और वर्तमान में भी वह पापकर्म का बन्धक हो रहा है, तथा भविष्यत् काल में पाप कर्म का बन्धक नहीं होगा ? २ भूतकाल में वह पापकर्म का बन्धक हुआ है ? वर्तमान में वह पापकर्म का बन्धक नहीं है ? भविष्यत् में वह पापकर्म का बन्धक होगा ? इत्यादि इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम ! 'अस्थेगइए बंधी, बंधइ, बंधिस्सई' कृष्ण लेश्यावाले जीवों में कोई एक जीव ऐसा भी होता है जो पूर्वकाल में पापकर्म का बन्धक हुआ है, वर्तमान में भी वह पापकर्म का बन्धक बन रहा है और भविष्यत् काल में भी पाप कर्म का बन्धक रहेगा १, तथा-इनमें कोई एक जीव ऐसा भी होता है जो भूतकाल में पापकर्म का बन्धक हुआ है वर्तमान में भी वह पापकर्म को बन्धक बना हुआ है, पर भविष्यत् काल में वह पापकर्म का बन्धक नहीं होगा २, इस प्रकार कृष्णदि पांच लेश्यावाले जीवों को आदि के ये दो भंग ही होते हैं-कारण કરવાવાળે થયે છે? અને વર્તમાન કાળમાં પણ તે પાપ કર્મને બાંધવાવાળે થાય છે? તથા ભવિષ્ય કાળમાં પાપ કર્મને બંધ કરનારે નહિ થાય? या प्रमाणेन। म प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री ४ छ -3 गौतम! 'अत्थे. गइए बंधी, बंधइ, बंधिस्सइ' वेश्यावाणा वामां से ७५ सव। પણ હોય છે, કે જેણે ભૂતકાળમાં પાપ કમને બંધ કરેલ હોય છે, અને વર્તમાનમાં પણ પાપ કર્મને બંધ કરતે રહે છે. તથા ભવિષ્ય કાળમાં પણ પાપ કર્મને બંધ કરશે. તથા આમાં કોઈ એક જીવ એ પણ હોય છે, જે ભૂતકાળમાં પાપ કર્મને બંધક થા છે. વર્તમાન કાળમાં પણ પાપ કર્મને બંધક બને છે, પરંતુ ભવિષ્ય કાળમાં તે પાપ કર્મને બંધક થવાને નથી. ૨ આ રીતે કૃષ્ણ વિગેરે પાંચે વેશ્યાવાળા જીવને પહેલાના
શ્રી ભગવતી સૂત્રઃ ૧૬