Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.७ सू०६ पञ्चविंशतितमं संज्ञाउपयोगद्वारम् ३६७ उसे होज्जा' किं संज्ञोपयुक्तः - अहारादिसंज्ञायुक्तो भवेत् अथवा 'नो सन्नोव - उसे होज्जा' नो संज्ञोपयुक्तो भवेत् आहारादिसंज्ञासु अनुपयुक्तो भवेदिति प्रश्न, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सन्नोवउसे जहा बउसो' संज्ञोपयुक्तो यथा बकुशः, संज्ञोपयुक्तो वा भवेत् नो संज्ञोपयुक्तो वा भवेत् आहारादिक्रियासु । ' एवं जाव परिहारविसुद्धिए' एवं यावत् परिहारविशुद्धिकः, यावत्प देन छेदोपस्थापनीयस्य संग्रदो भवति तथा च छेदोपस्थापनीयसंयत परिहारविशुदिकसंयत संज्ञोपयुक्तावपि भवतः नो संशोपयुक्तावपि भवत इति भावः । 'सुहुमसंपराए अहक्खाए य जहा पुलाए' सूक्ष्मसंपरायसंपतो यथाख्यातसंयतश्च यथा पुलाका, सूक्ष्मपराय यथाख्यातसंयतौ जो संज्ञोपयुक्त भवेतामिति भावः (२५) 'सामाइयसजए णं भंते !' हे भदन्त ! सामायिकसंगत 'किं सन्नोव - उन्होज्जा' क्या आहारादिसंज्ञाओं से युक्त होता है अथवा 'नो सन्नोउत्ते होज्जा' आहारादिसंज्ञाओं से युक्त नहीं होता है आहारादि संज्ञा में आसक्त होना इसका नाम संज्ञोपयुक्त और आहारादि में आसक्ति रहित होना इसका नाम नो संज्ञोपयुक्त है । इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- 'गोयमा ! सनोवन्ते जहा बउसे' हे गौतम ! सामायिक संयत कुश के जैसे आहारादि संज्ञोपयुक्त भी होता है और नो संज्ञोपयुक्त भी होता है। 'एवं जाव परिहारविसुद्धिए' इसी प्रकार से छेदोपस्थापनीयसंपत और परिहारविशुद्धिकसंयत ये दोनों भी आहारादि संज्ञोपयुक्त भी होते हैं और नो संज्ञोपयुक्त भी होते हैं। 'सुमपराए अहखाए य जहा पुलाए' सूक्ष्मसंपरायसंयत और
टीडार्थ - ' सामाइयसंजए णं भंते! किं सन्नोवउत्ते होज्जा' हे भगवन् सामायि संयत माहार विगेरे संज्ञावाजा होय छे ? अथवा 'नो सन्नोउत्ते होज्जा' आहार विगेरे संज्ञायोथी युक्त होता नथी ? भाहार विगेरे સ'જ્ઞાએમાં આસક્ત થવુ તેનુ' નામ સજ્ઞોપયુક્ત છે, અને આહાર વિગેરેમાં આસક્તિ રહિત થવું તેનું નામ ના સજ્ઞોપયુક્ત છે. આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં अनुश्री गौतमस्वामीने उडे - 'गोयमा ! सन्नोवउत्ते, जहा बउसे' 3 ગૌતમ ! સામાયિક સંયત અકુશના કથન પ્રમાણે આહાર વિગેરે સન્ના वाणा होय छे, नास ज्ञोपयुक्त होता नथी. 'एवं जाव परिहारविसुद्धिए' પ્રમાણે છેદેપસ્થાપનીય સંયત અને પશ્તિાવિશુદ્ધિક સંયત આ અને પશુ भाडार विगेरे संज्ञावाजा होय छे, नासंज्ञोपयुक्त होता नथी. 'सुहुमसंपराए अक्खाए य जहा पुलाए' सूक्ष्मस पराय सयत भने यथाभ्यातसंयंत
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬